पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/३२७

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टिप्पणियाँ २९७ " तमिलमें हम चरखेको 'राट्टिनम' कहते हैं। गरीब औरतोंने मेरे पास आकर मुझसे चरखे माँगे और कातना सिखानेको कहा, ताकि वे अपनी जीविकाके लिए थोड़ा-बहुत कमा सकें। तब मुझे ईसाके शब्द स्मरण हो आये, “मैं नग्न था और तुमने मुझे वस्त्र नहीं दिया", 'मैं भूखा था और तुमने मुझे खाना नहीं दिया। मैं आशा करती हूँ कि परमेश्वर हश्रके दिन मुझसे ये कठोर शब्द न कहेंगे। भारत भूखा-नंगा है। भारतीय नारियाँ रोटीके लिए तड़पते हुए अपने बच्चोंके लिए भोजन प्राप्त करनेके निमित्त अपनी इज्जत तक बेचनेको मजबूर हुई है। चूंकि भारतकी अपनी ही सीमाओंमें यथेष्ट प्राकृतिक साधन मौजूद है, अतः उक्त स्थिति और भी दयनीय लगती है। भारत एक ऐसी स्त्रीके समान है जो सड़कके किनारे रुई, चावल तथा गहूँके खेतोंके बीच नंगी-भूखी बैठी हुई है। भारतकी स्त्रियाँ बेकार क्यों बैठी है, जब कि दूसरे देशवाले भारतकी ही उपजपर फल-फूल रहे है ? इसलिए कि वे उस कामको छीन लेते हैं जो भारतीय स्त्रियोंको मिलना चाहिए। चरखा भारतवासियोंको काम देगा और मुट्ठी-भर दाने के लिए तड़पते हुए यहाँके नन्हें बच्चोंको भोजन देगा। चरखके संगीतके साथ स्त्रियाँ अपने सुन्दर गीत गायेंगी, पुराने जमानेकी कहानियाँ सुनायेंगी, और इस प्रकार सादे घरेलू जीवनकी सुन्दरता एवं सन्तुष्टि पुनः लौट आयेगी। यदि मेरे अन्दर कविकी प्रतिभा होती तो में चरखके, उसके सौन्दर्य तथा उसकी उपयोगिताके, उसकी काव्यात्मकता तथा उसके धार्मिक मूल्यके गीत लिखती और गाती; जरूरतके समय सहायताके लिए ईश्वरकी प्रशंसाके गीत गाती। मैं अपनी समस्त भारतीय बहनोंसे अपने घरोंसे भूख तथा अपमानरूपी भेड़ियको दूर रखने के लिए चरखा अपनानेको कहूँगी। . . . पर मुझमें वह प्रतिभा नहीं है। केवल मेरी आत्माके अन्दर वह गीत ध्वनित हो रहा है। फिर में इसके सिवा और क्या कर सकती हूँ कि चरखेको अपना गीत स्वयं गाने दूं, और मैं स्वयं चरखा चलाऊँ और दूसरोंको भी वैसा ही करनेको शिक्षा दूं। उक्त महिला कताईमें काफी निपुण हो गई है, और वे अपने साधनोंकी शक्ति और साधनोंको लड़कियोंके लिए एक स्कूल खोलने में लगानेवाली है। कताई इस स्कूलकी एक खास विशेषता होगी। सच्ची भावना गुजरात प्रान्तीय कांग्रेस कमेटीने कांग्रेस महासमितिके लिए अपने सदस्योंका चुनाव सम्पन्न कर लिया है। जिस क्रममें सदस्यगण चुने गये हैं, उसी क्रममें मैं उनके नाम यहाँ दे रहा हूँ : अब्बास तैयबजी, इमाम ए० के० बावजीर, एस० एफ० इदरस, अनसूयाबेन साराभाई, मो० क० गांधी, वल्लभभाई पटेल, महादेव देसाई, इन्दुलाल के० याज्ञिक, डा० दीक्षित, डा० चन्दूलाल देसाई, मोहनलाल पण्ड्या तथा वामनराव मुका- ।

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