पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/३२८

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२९८ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय दम । चुनाव स्वभावत: आनुपातिक प्रतिनिधित्वके आधारपर हुआ। नाम देकर पाठकोंको मैं कष्ट न देता यदि इस चुनावसे कुछ सीख न मिलती होती। पाठकगण यह देखेंगे कि तीन मुसलमान चुने गये हैं और वे सूचीमें सर्वप्रथम हैं, जिससे पता चलता है कि मतदाता उन्हें चुननेके लिए कृतसंकल्प थे। संख्याकी दृष्टिसे दोसे अधिक नहीं चुने जाने चाहिए थे, पर मतदाताओंने बुद्धिमानीसे सब मुसलमान उम्मीदवारोंको चुननेका निर्णय किया। उसके बाद वे कमसे-कम एक महिलाको अवश्य चुनना चाहते थे, अतः उनके बाद श्रीमती अनसूयाबेन आती हैं। लेकिन इस चुनावमें सबसे अधिक मार्केकी बात यह है कि जहाँ सब अच्छे कार्यकर्ता चुन लिये गये वहाँ बहुतसे उतने ही अच्छे और योग्य कार्यकर्ता चुपचाप अलग रह गये। वे चुनावमें खड़े नहीं हुए। आत्म-विलोपनकी इस भावनाकी, जिस किसीसे वह सम्बन्ध रखती हो, मैं तारीफ करता हूँ। कार्यकर्ताओंमें सम्मानके पदोंके लिए आपसमें कशमकश नहीं होनी चाहिए। सबका ध्येय सर्वाधिक योग्य कार्यकर्ता बनना होना चाहिए। पर सबका सम्मानके पदोंपर चुना जाना सम्भव नहीं है, खास तौरसे जब यदि उन पदोंके साथ भारी जिम्मेदारी भी जुड़ी हुई हो। सबसे अच्छा तरीका यह है कि हर व्यक्ति चुनावसे अलग रहकर दूसरोंको चुने जाने दे। इसी तरह कटुता, अस्वस्थ प्रतिद्वन्द्विता तथा विद्वेषकी भावनासे बचना सम्भव है। चाहे कोई व्यक्ति कभी भी कोई पद न ग्रहण करे, फिर भी उसके लिए सबसे उत्तम सेवा कर सकना निश्चय ही सम्भव है। सच तो यह है कि सम्पूर्ण विश्व में सबसे अच्छे कार्यकर्ता वही सिद्ध हुए है जो सामान्यतः सबसे अधिक चुप और शान्त रहते हैं। मुस्लिम प्रतिनिधित्व लखनऊ-समझौतेपर कार्य-समितिके परामर्शात्मक प्रस्तावके सम्बन्धमें बहुत लोगोंको शिकायत है। नये संविधानमें मुस्लिम प्रतिनिधित्वसे सम्बन्ध रखनेवाला एक खण्ड वह है जो अल्पसंख्यकों के अधिकारों के बारेमें है। चूंकि कार्य-समितिका ध्यान इस बातकी ओर आकृष्ट किया गया कि मुसलमान अपने प्रतिनिधित्वके बारेमें परेशान हो रहे हैं, और वे कांग्रेस द्वारा लखनऊ-समझौतेपर अमल चाहते है, अतः उस दिशामें निर्देश करना युक्तिसंगत समझा गया। इसमें सन्देह नहीं कि हम लोगोंके अन्दर फूट डालनेकी कोशिश की जा रही है। मुसलमानोंका आना शुरू ही हुआ है। इसलिए प्रत्येक हिन्दूका कर्तव्य है कि वह उनको कांग्नेसमें शामिल होने के लिए हर तरहका उचित प्रोत्साहन दे। कांग्रेसको समस्त जातियों तथा धर्मोंका सामान्य मिलन-स्थल होना चाहिए। जहाँ अनुनय-विनयके बावजूद मुसलमान बिलकुल ही आगे नहीं आते, वहाँ उम्मीदवारों के अभावके कारण स्थान खाली रखे जा सकते है, अथवा जबतक अनुकूल मुस्लिम उम्मीदवार नहीं मिल जाते, तबतक के लिए उन स्थानोंको दूसरों द्वारा भरा जा सकता है। कुछ मित्रोंका कहना है कि इस समय हमें किसी जाति विशेषके अधिकारों के बारेमें नहीं बल्कि केवल कार्यक्षमताके बारे में सोचना चाहिए। इसमें सन्देह नहीं कि कार्य- क्षमता प्रशंसनीय चीज है, लेकिन यह भी हो सकता है कि हम उसके अन्धपुजारी बन जायें, जैसा कि हमारे अंग्रेज मित्र बन गये हैं। एकता कार्यक्षमतासे अधिक महत्त्वपूर्ण है, और हमारे लिए एकता ही कार्यक्षमता है। हाँ, एकताके नामपर हमें एक वस्तुका Gandhi Heritage Portal