पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/३२९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

टिप्पणियाँ २९९ त्याग नहीं करना चाहिए और वह है सिद्धान्त अथवा अन्तरात्माकी आवाज, अथवा सत्य; सिद्धान्त अथवा अन्तरात्माकी आवाजका ही नाम सत्य है। गो-रक्षा हिन्दू-मुस्लिम एकताके सन्दर्भमें मैं एक बार पुनः गो-रक्षाकी चर्चा कर रहा हूँ। गो-रक्षाकी भावना जितनी अधिक मेरे हृदयमें है उससे ज्यादा किसी अन्य हिन्दूके हृदयमें नहीं, पर मैं उतावला नहीं होना चाहता। बलप्रयोग द्वारा हम मुसलमानोंसे गो-हत्या बन्द कराने में कभी सफल नहीं हो सकते। उनके अन्दर गायके लिए उसी प्रकारकी तथा उतनी ही भावना नहीं हो सकती जितनी कि हम हिन्दुओंके अन्दर है। अगर हम ईमानदारीका व्यवहार करेंगे तभी तो ऐसी स्थिति आयेगी कि हमारे साथ ईमानदारीका व्यवहार करना उनके लिए जरूरी हो जायेगा। बिहारमें अब तूफान मचा हुआ है। मैं हिन्दू तथा मुसलमान दोनों नेताओंसे आग्रहपूर्वक विनय करता हूँ कि वे मौकेको हाथसे न जाने दें, और बुराईको आरम्भमें ही कुचल दें। साथ ही बिहारके हिन्दुओंको चाहिए कि वे निरामिषताके प्रश्नको गो-हत्याके साथ न मिलायें। दोनोंका स्थान अलग-अलग है। गो-रक्षा दो करोड़ हिन्दुओंका धार्मिक सिद्धान्त है, जब कि निरामिषता बहुत थोड़ेसे लोगोंतक सीमित है। उन थोड़ेसे लोगोंको अपना विचार दूसरोंपर नहीं लादने दिया जा सकता। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी नव-निर्वाचित महासमिति, जिसके सदस्योंकी संख्या पहलेसे बड़ी है, की बैठक २२ जुलाईको लखनऊमें होनेवाली है। यह बैठक बहुत महत्त्वपूर्ण होगी। इसमें ऐसा कार्यक्रम तैयार करना है जिससे साल-भरके अन्दर स्वराज्यको स्थापना तथा खिलाफत एवं पंजाब सम्बन्धी अन्यायोंका परिशोधन किया जा सके। उसे या तो एक नई कार्य- समितिका चुनाव करना होगा, अथवा पुरानी कार्य-समितिकी ही पुष्टि करनी होगी, यदि उसके सब सदस्य नई महासमितिके फिरसे सदस्य चुन लिये जाते हैं। उसे संभवत: कार्य-समितिके कुछ निर्णयोंपर पुन: विचार-विमर्श भी करना होगा। उसके अन्दर जो विचार-विमर्श होगा, उसीसे साल-भरके अन्दर स्वराज्य-प्राप्ति सम्बन्धी प्रश्नका बहुत- कुछ निपटारा होगा। अतः लोगोंके लिए ऐसी आशा करना स्वाभाविक है कि उस संस्थाके समक्ष जो प्रश्न उठाये जायेंगे उनपर विचार करने के लिए पूरा सदन भरा होगा। जूनके बाद जान पड़ता है कि कुछ लोग इस खयालमें हैं कि ३० जूनके बाद बेजवाड़ा कार्यक्रमके सम्बन्धमें आगे कोई प्रयास करनेकी जरूरत नहीं है। यह भ्रांतिपूर्ण विचार है। यदि हमने एक करोड़ सदस्य बना लिये और बीस लाख चरखे चालू करवा लिये, तो फिर हमें उनमें और वृद्धि करनी चाहिए। न्यूनतम निश्चित राशि एकत्र करके हम तिलक स्वराज्य-कोषके लिए चन्दा करना बन्द कर सकते हैं, पर यदि हम उससे भी अधिक संग्रह करते हैं तो उसमें कोई हानि नहीं है। Gandhi Heritage Porta