पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/३३२

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-- १३७. कार्य-समिति और उसका काम कार्य-समितिके प्रस्तावोंकी कुछ आलोचना की गई है। कार्य-समितिने असहयोगी वकीलोंके अदालतोंमें जाने तथा असह्योगी प्रतिवादियोंके अदालतमें अपना बचाव करने- को अनुचित करार देते हुए जो व्यवस्था दी है, उसपर बहुत आपत्ति की गई है, और यहाँतक कहा गया है कि उसकी व्यवस्थाओंकी परवाह न की जाये। इसलिए यह जानना आवश्यक हो जाता है कि कार्य-समितिके क्या काम हैं और इसे समझनेके लिए हमें पहले कांग्रेसके संविधानको समझना होगा। कांग्रेसका ध्येय शान्तिपूर्ण तथा न्यायोचित तरीकोंसे स्वराज्य हासिल करना है। कांग्रेसका संचालन ऐसे ढंगसे होना चाहिए जिससे भारत अपने निर्दिष्ट लक्ष्यकी ओर तेजीसे बढ़ सके। कांग्रेसका संविधान भी ऐसा बनाया गया है जिससे इस राष्ट्र- की स्वशासनकी क्षमताकी पूरी कसौटी हो जाये और यह सिद्ध हो जाये कि उसमें सचमुच यह क्षमता है। निस्सन्देह वह एक ऐसी ऐच्छिक सरकारको स्थापना करता है, जिसका एकमात्र बल जनमत तथा जनताका सद्भाव है। आज जिस प्रकार कांग्रेस वर्तमान शासन-प्रणालीका विरोध कर रही है और इसमें सन्देह नहीं कि यदि जरूरत पड़ी तो उसे समाप्त कर देनेके लिए भी वह जुट जायेगी- उससे जाहिर होता है कि कांग्रेसका प्रभाव जितना ही बढ़ेगा सरकारका उतना ही कम होगा। जिस दिन लोग कांग्रेसमें पूरी तरह विश्वास करने लगेंगे और उसके निर्देशोंका स्वेच्छया पालन करने लगेंगे उसी दिन पूर्ण स्वराज्य स्थापित हो जायेगा; क्योंकि तब सरकारको कांग्रेसके माध्यमसे व्यक्त लोकमतका पालन करना ही होगा, अन्यथा वह स्वयं समाप्त हो जायेगी। इसलिए कांग्रेसको देशकी सर्वाधिक संगठित, सबल और शुद्ध तथा सबसे बड़ी संस्था बनना चाहिए। अतः उसकी नीति ऐसी होनी चाहिए जिसे लोग प्रसन्नता- से स्वीकार कर लें। कांग्रेसका अधिवेशन सालमें केवल एक बार होता है, जिसमें वह अपनी नीतियाँ निर्धारित करती है। कांग्रेस महासमिति उसके प्रस्तावोंमें समाहित उन नीतियोंको कार्यान्वित करती है। इसलिए कांग्रेसकी महासमितिको भी उतने ही अधिकारके साथ कांग्रेसके प्रस्तावोंकी व्याख्या और सभी नये सवालोंपर विचार करना चाहिए जितने अधिकारसे स्वयं कांग्रेस कर सकती है। उसके सदस्यगण विभिन्न प्रस्तावों एवं उनके अर्थोंपर जितनी चाहें उतनी बहस कर सकते हैं, पर कुछ बहुत महत्त्वपूर्ण सिद्धान्तके मामलों- को छोड़कर बाकी सब बातोंमें उन्हें बहुमतसे स्वीकृत प्रस्तावोंको मानकर ईमानदारीके साथ कार्यान्वित भी करना चाहिए। किसी बातपर महासमितिमें बहस हो चुकनेके बाद फिर उसपर महासमितिके बाहर बहस नहीं हो सकती। महासमिति अपना काम तेजी और ठीक ढंगसे कर सके, इसके लिए कांग्रेसके संविधानमें एक कार्य-समितिकी व्यवस्था की गई है। इस कार्य-समितिको बैठक बराबर होनी चाहिए और महासमिति द्वारा सौंपे गये सभी कार्योंको उसे पूरा करना चाहिए। जब महासमितिको बैठक नहीं Gandhi Heritage Portal