पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/३३३

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कार्य-समिति और उसका काम ३०३ 1 हो रही हो तब कार्य-समितिसे महासमितिके सारे काम करनेकी अपेक्षा की जाती है। समितिको जनमतके बारेमें पूरी जानकारी रखनी चाहिए, उसे सही दिशा देनी चाहिए और उसकी व्याख्या भी करनी चाहिए। उसे सभी मातहत संगठनोंको काम करनेकी स्थितिमें रखना चाहिए, देश-भरमें संगठनके लिए धन जुटानेकी कोशिश करनी चाहिए, उसका उचित वितरण करना चाहिए और जब-कभी बहुत महत्त्वके मामलोंपर निर्णय लेना हो तब निर्देशके लिए महासमितिको बैठक बुलानी चाहिए। कांग्रेसके लिए कार्य-समितिका वही महत्त्व है जो संसदके लिए मन्त्रिमण्डलका। यदि हमें इसी वर्ष संवैधानिक सरकारकी स्थापना करनी है तो कार्य-समितिके सभी निर्णय ऐसे होने चाहिए जिनका आदर सब लोग करें। अतः यह जरूरी है कि उसके सदस्य ऐसे हों जिन्हें महासमितिके सदस्य तथा पूरा राष्ट्र सम्मानकी दृष्टिसे देखता हो। उसे जल्द- बाजीमें किसी बातपर निर्णय नहीं करना चाहिए और उसके सदस्योंको एक-से विचारका होना चाहिए। उसके अन्दर दो नीतियाँ या दो दल नहीं हो सकते। चूंकि कांग्रेस पूरे देशका प्रतिनिधित्व करती है, इसलिए उसके अन्दर सभी विचारों, सभी दलोंके लोग हो सकते हैं। पर कार्य-समितिमें ऐसे लोग ही होने चाहिए जो कांग्रेसके बहुसंख्यक दल व उसकी नीतियोंका प्रतिनिधित्व करते हों। उसके निर्णय अधिकतर सर्वसम्मत होने चाहिए। जब कोई सदस्य अन्य सदस्यों के साथ मिलकर नहीं चल पाता तो वह अलग हो सकता है, पर उसे कार्य-समितिको कार्रवाइयोंकी अखबारोंमें चर्चा करके उसके कामोंमें बाधा डालने या उन्हें प्रभावित करनेकी कोशिश नहीं करनी चाहिए। अतः यद्यपि कांग्रेसवालों को कार्य-समितिके निर्णयोंको कार्यान्वित करना ही चाहिए, तथापि ऐसा नहीं है कि यह संगठन किसीके प्रति जवाबदेह है ही नहीं। कांग्रेस महासमिति अविश्वासका प्रस्ताव पास करके उसे बरखास्त कर सकती है। महासमिति उसके निर्णयोंपर फिरसे विचार कर सकती है और यदि गम्भीर कारण उपस्थित हों तो उन्हें रद्द भी कर सकती है। मेरे खयालसे जबतक कार्य-समितिका जनतापर काफी प्रभाव नहीं होता तबतक साल-भरके अन्दर स्वराज्य-प्राप्तिका लक्ष्य पूरा नहीं हो सकता। इसलिए हममें से हर व्यक्तिको चाहिए कि वह कांग्रेसके सभी प्रस्तावोंको पूरी तरहसे कार्यान्वित करके उसे एक ऐसी संस्था बना दे जिसकी इच्छाका कोई अनादर ही न कर सके। जो काम सरकार अन्तमें बल-प्रयोग द्वारा करती है, कांग्रेस उसी कामको प्रेम द्वारा करनेकी उम्मीद रखती है। सरकारने जनताके हृदयमें भय पैदा करके अपने- को ऐसा-कुछ बना लिया है कि कोई उसकी इच्छाका अनादर नहीं कर सकता, पर कांग्रेसको ऐसा रास्ता अख्तियार करके लोगोंको अपनी शक्तिका एहसास कराना है जिससे इसके सिद्धान्तों और नीतियोंको सभी अपनी मर्जीसे स्वीकार कर लें। इस तरह जनताके समक्ष जो भी कार्यक्रम रखा जाना है, उससे सम्बन्धित हर मामलेमें अहिंसा- का पालन करना जरूरी है। लेकिन हर संगठन जनताके सहयोगपर ही सफल होनेकी आशा रखता है। कांग्रेसके निर्णयोंके प्रति वफादारी नागपुर कांग्रेसमें एक सालके अन्दर स्वराज्य प्राप्त करनेके हमारे संकल्पकी सफलताकी अनिवार्य शर्त है। [अंग्रेजीसे] यंग इंडिया, २९-६-१९२१ Gandhi Heritage Portal