पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/३३८

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३०८ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय (३) गरीब, अमीर तथा भारतीयों एवं गोरों सबके लिए समान कानून बनाये जायें। (४) भारतीय स्त्रियों तथा उनके यूरेशियाई बच्चोंकी रक्षाके लिए कानून बनाया जाये। (५) हर चाय-बागानके लिए एक पंचायत हो, जिसे कानूनी सत्ता हासिल हो और उसका अध्यक्ष चाय-बागानका मैनेजर हो। पंचायतको भारतीयों तथा गोरों, दोनोंके मामलोंकी सुनवाई तथा फैसला करनेका हक हो। (मेरे कुलियोंको मेरे विरुद्ध लगाये आरोपोंकी सुनवाई और फैसलेका अधिकार हो)। (६) कुलियोंको बीमारीका भत्ता देना अनिवार्य हो। (७) कुलियोंकी शादियोंपर से प्रतिबन्ध हटा लिया जाये। (८) गर्भवती स्त्रियोंको छः मासतक प्रसूतिका भत्ता देना अनिवार्य हो। आप यह स्वीकार करेंगे कि ये सब सुझाव विधायकोंके लिए है, न कि असहयोगियोंके लिए। इसलिए मैं कहता हूँ कि रचनात्मक आन्दोलन कीजिए, सहयोग कीजिए, कानून बनाइए। आपके कौंसिलके सदस्य क्या कर रहे हैं ? उनसे कहिए काम करें, अच्छे और उपयोगी कानून बनायें, जनताको आवाजको सुनें । मेरा बल मेरे कुलियों- का प्यार है। उनका भी बल भारतीय जनताका उनके प्रति प्यार है। भारतीय जनतामें सहयोगी और असहयोगी, रचनात्मक आन्दोलनकारी और विधायक सभी शामिल हैं। अगर उन्हें उनका प्यार नहीं मिलता तो इसका मतलब है, भारत एक ऐसे परिवारके समान है जिसके सदस्य आपसमें विभक्त हैं, फूटसे ग्रस्त हैं। इसलिए मैं कहता हूँ कि सहयोग कीजिए। मैं जिन भारतीयोंके सम्पर्कमें आता हूँ या जिनसे मेरा साबका पड़ता है, उन सबके साथ मैं सहयोग करता हूँ, चाहे वे चमार हों या ब्राह्मण, कुली हों या राजा। सभी ईश्वरको प्यारे है, सभी मनुष्य हैं। सबको मैं अपना भाई मानता हूँ। जहाँ में मदद कर सकता हूँ, वहाँ मदद करता हूँ; जहाँ किसीका कष्ट दूर कर सकता हूँ, वैसा करता हूँ; जहाँ कोई बात समझा सकता हूँ, समझाता हूँ। भ्रातृत्वकी भावना पनपने दीजिए। यह असहयोग द्वारा सम्भव नहीं, सहयोगके द्वारा ही सम्भव है। मुझे आपको यह बताते हुए खुशी होती है कि मैं जिस चाय-बागानका मैनेजर हूँ, उसके कुली दूसरे चाय-बागानोंके कुलियोंके मुकाबले कहीं अधिक सन्तुष्ट हैं तथा उन्हें उनके मुकाबले ज्यादा मजदूरी मिलती है। और मैं दावेके साथ कह सकता हूँ कि जबसे मैं भारत आया हूँ तभीसे मेरा ध्येय कुलियोंकी तकलीफोंको दूर करना रहा है, यद्यपि यह सही है कि सबको खुश नहीं किया जा सकता। यह सब काम सहयोगके जरिये ही सम्भव हो सका है, और मेरे अधीनस्थ बागानमें न तो कभी कोई हड़ताल हुई है और न होगी। यह मैं Gandhi Heritage Portal