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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

शौकत अलीको बहुत पसन्द है तथापि वे खादी पहनते हैं। इसे एक चमत्कार समझना चाहिए। उन्होंने इस्लामकी खातिर फकीरीको धारण किया है।

[ गुजरातीसे ]

नवजीवन, १-५-१९२१

४. भाषण : हालोलकी किसान सभामें'

१६ अप्रैल, १९२१
 

आपको तो खाद लेकर धान उगाना होता है । तो फिर आप भंगियोंका कैसे तिरस्कार कर सकते हैं? हमें दुनियामें सतयुग लाना है। वह कोई आकाशसे गिरनेवाला नहीं है। उसे हमें अपने सत्कर्मोंसे प्राप्त करना है। उसके लिए सब व्यसन छोड़ने चाहिए । दारू, ताड़ी, गाँजा और अफीम-जैसी वस्तुओंका सेवन करके जो व्यक्ति होश-हवास खो बैठता है वह खेत-जैसी अमूल्य वस्तुको कैसे सँभालकर रख सकता है ? आप तो जमीनकी रक्षा करनेवाले हैं, दुनियाको अन्न प्रदान करनेवाले हैं। आजकल मैं सरकारके लिए लुटेरी और राक्षसी-जैसे विशेषणोंका प्रयोग करता हूँ लेकिन आप किसान लोग ही अगर जनताको लूटेंगे तो आप क्या कहलायेंगे ? आप अपनी कुलीनता छोड़ दें, वीरता छोड़ दें, सत्य छोड़ दें और जगत्का तात कहलाते हुए भी आप जनताको दुःख दें, यह तो दरियामें आग लगनेके समान हुआ । वकालतके प्रति अरुचि होनेके बाद अपनेको किसान, बुनकर और भंगी माननेवाले मेरे- जैसे लोग फिर कहाँ जायें ? लेकिन मेरा विश्वास है कि आप अच्छे हैं और इसीसे में किसान बना हूँ । किसानका तकिया मौत है। किसान मौतको तकिये के नीचे रख-कर सोता है। उसे कौन डरा सकता है ? आप तो बादशाह हैं और बादशाह ही रहें, यही मेरी माँग है। जो बादशाह प्रजाको लूटता है वह पापी है। इसलिए आप सदाचारी बनें ।

आप अन्य किसानोंको जाकर इस किसान गांधीका सन्देश देना कि उसने चोरी करनेको मना किया है, जुआ न खेलनेके लिए कहा है। आपको तो फसल पकाकर उसे सही दामोंपर बेचना है। आप कम दाममें न दें लेकिन कंजूस बनियेकी तरह बहुत ज्यादा दाम लेकर अनाज बेचना भी किसानका धर्म नहीं है। आप इससे बचेंगे तो आपको बरकत दिखाई देगी।

आपको बेगार करनेकी जरूरत नहीं है। आप खेतकी बेगार करेंगे कि सरकार और उसके बदमाश अधिकारियोंकी बेगार करेंगे? उनसे कहना कि हम कमीन नहीं हैं, हम तो किसान हैं।

१. गांधीजीकी यात्राके विवरणसे उद्धृत । चूँकि परिषद्में भाग लेनेके लिए आये किसान गांधीजीका भाषण नहीं सुन सके थे इसलिए शामको उनके लिए एक अलग सभाको व्यवस्था की गई थी ।