पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/३४१

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१४०. टिप्पणियाँ [२९ जून, १९२१] घड़ा अथवा गागर में यह टिप्पणी, हमारी जो परीक्षा होनेवाली है उसके एक दिन पहले लिख रहा हूँ। कुम्हारको भाषामें कहें तो अभी चाकपर मिट्टीके पिण्डको रखा गया है। उसमें से शुद्ध सम्पूर्ण घड़ा उतरेगा अथवा छोटी गागर, यह तो कार्यकर्ता ही जानें अथवा भगवान् जानें। जैसी मनोवृत्ति होती है वैसी बरकत होती है। चन्दा उगाहने- वालों की मनोवृत्ति अच्छी होगी तो बरकत अवश्य होगी। गुजरातसे दस लाख रुपयोंके बारेमें तो अब कोई शंका नहीं रही। आशा तो यह है कि दस लाख रुपयेसे भी अधिक रकम मिलेगी। इसमें आश्चर्य भी क्या है ? हमारे पास अपेक्षाकृत दौलत अधिक है। गुजरातकी मिलें ही हमारी आशा पूरी कर सकती है। गुजरातके बाहर व्यापार करनेवाले साहसी व्यापारी दे सकते हैं, राजा लोग भयका त्याग करें तो वे भी इतना दे सकते हैं। हमने तो आजतक ऐसे कार्यों में प्रजाके रूपमें हाथ ही नहीं डाला, अपनी शक्तिको आजमाया ही नहीं है; इसीसे हमने डरते-डरते कम अनुमान लगाया। भय छोड़ेंगे तो आगे बढ़ेंगे। लेकिन हमें तो तीन लाख सदस्य और एक लाख चरखे चाहिए। हम इतना करते हैं या नहीं, इसपर हमारा भविष्य निर्भर करता है। ईश्वर! गुजरातकी और भारतकी लाज रखना। हमारा दायित्व लेकिन जैसे-जैसे पैसा बढ़ता जाता है, सदस्यों और चरखोंकी संख्यामें वृद्धि होती जाती है वैसे-वैसे हमारा दायित्व भी बढ़ता जाता है। पैसा मिलनेपर हम भाग्यवान नहीं माने जायेंगे; हमें पैसेको खर्च करना भी आना चाहिए, पैसेका हिसाब रखना आना चाहिए। हमें उस पैसेका सदुपयोग भी करना चाहिए। हमने पैसा ब्याजपर देनेके लिए नहीं लिया है बल्कि आजकी जरूरतको देखते हुए लिया है। हमें उस पैसेके द्वारा जन-जीवनको उन्नत बनाना है। हमें विदेशी कपड़ेका बहिष्कार करना है। हमें [बच्चोंको] राष्ट्रीय शिक्षा देनी है, हमें अन्त्यजोंकी दयनीय स्थितिको सुधारना है। हमें अकालकी पीड़ाको दूर करना है। हमें मद्यपान करनेवालों से मद्यको छुड़ाना है। इन सब कार्योंमें हमें सारा पैसा चाहिए। उसके लिए हमारे पास ईमानदार कार्य- कर्ता होने चाहिए। हमारा हिसाब स्पष्ट होना चाहिए। एक बालकको भी उसे देखने- का हक होना चाहिए। हमें जो पैसा मिला है उसके शुद्ध उपयोगपर ही हम भविष्यमें १. ३० जून, इस तारीख तक बेजवाड़ा कांग्रेसमें निश्चित किये गये कार्यक्रमको पूरा किया जाना था। Gandhi Heritage Portal