पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/३४४

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३१४ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय व्यक्तियोंको एक घर गिनें तो अठारह लाख घर हुए। इसलिए जबतक हम ढाई लाख चरखे न चलाने लगें तबतक हमें सन्तोष नहीं होना चाहिए । चरखे और सदस्योंकी संख्यामें वृद्धि करनेकी प्रवृत्तिकी कोई सीमा नहीं हो सकती। जैसे-जैसे इसमें वृद्धि होगी वैसे-वैसे हमारा बल बढ़ेगा, स्वराज्यके झंडेका तेज और भी प्रखर होगा, स्वराज्यका जहाज आगे बढ़ानेके लिए हवा और प्रचण्ड होगी और स्वराज्यके जहाजकी गतिमें भी तीव्रता आयेगी। जून मासतक अमुक संख्यामें चरखे बढ़ाकर और सदस्य बनाकर हमने अपनी गतिके वेगको आँका और अनुमान लगाया कि हमारा उत्साह कम हुआ कि बढ़ा; हमारा विश्वास कम हुआ कि बढ़ा। इन दोनों प्रवृत्तियोंके निरन्तर जारी रहनेपर ही हमारे स्वराज्यका आधार निर्भर करता है। [गुजरातीसे] नवजीवन, ३-७-१९२१ १४१. पत्र: लाला लाजपतरायको [३० जून, १९२१ के पूर्व] प्रिय लालाजी, मुझे पूरी आशा है कि इस महीनेकी अन्तिम तिथिके पहले ही गुजरात जितना चन्दा देनेकी आशा कर रहा है, पंजाब भी उतना दे चुकेगा। मेरे ऐसा कहनेका कारण यह है कि मैं अमृतसरको बहुत अच्छी तरहसे जानता हूँ। अमृतसरने चन्दा वसूल करने के सम्बन्धमें अबतक बहुत ही कम काम किया है। धनके मामले में अमृत- सरका पंजाबमें वही स्थान है जो गुजरातमें अहमदाबादका है। भारतमें सभी स्थानोंसे अधिक जोरका धक्का अमृतसरको लगा है और इसलिए अमानवीय अपमानोंको असम्भव बनाने के लिए चलाये जानेवाले संघर्ष में भी उसे अगुआ होना चाहिए। मेरी कामना है कि आपके प्रयत्नोंसे अमृतसरके धनाढ्य व्यक्तियोंको उनका महान् उत्तरदायित्व समझाना सम्भव हो सकेगा। हृदयसे आपका, गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० ७५५६) की फोटो-नकलसे। Gandhi Heritage Portal