पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/३४६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

-- ३१६ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय देखेंगे। आज तो भारत यही अपेक्षा रखता है कि सभी समुदायोंके लोग एक होकर स्वराज्य प्राप्तिके लिए महान् प्रयत्न करेंगे। तथापि इसका मतलब यह नहीं है कि आप अपना-अपना धर्म छोड़ दें। जबतक यह संसार है तबतक विचारों में अनेकता और मतभेद तथा भिन्न-भिन्न धर्म भी रहेंगे ही। लेकिन आपको स्वराज्य प्राप्त करनेके लिए एक होकर प्रयत्न करना है। तथापि समाजके निम्न वर्गोंको इस पतितावस्थामें रखकर आप कभी स्वराज्य प्राप्त नहीं कर सकेंगे। उनको दबाकर रखना, हेय दृष्टिसे देखना, उनसे नफरत करना, उन्हें गालियाँ देना, उन्हें अपने कुओंसे पानी न भरने देना, अपने गाँवोंसे अलग रखना - यह सब निश्चय ही वैष्णव धर्म नहीं है। वह तो ईश्वर-विहीन धर्म है। वैष्णव धर्म तो कुछ और ही चीज है। वल्लभाचार्यने अपने शिष्योंको घृणा और असहिष्णुताको शिक्षा कभी नहीं दी थी। उनके उपदेशोंका आशय था कि आपको दलित वर्गोंको, गरीबी और अज्ञानके अन्धकारमें डूबे हुए लोगोंको उठाना चाहिए। वल्लभाचार्यने आपको यह नहीं बताया है कि आप अपने भाइयोंको दलित करके रखें। मैं इन बातोंके सम्बन्धमें जितना ज्यादा सोचता हूँ, मेरा यह विश्वास उतना ही दृढ़ होता जाता है कि इस सवालके बारेमें वैष्णवोंने जो रुख अपना रखा है वह गलत है। में आपसे यह सब एक दुनियादार व्यक्तिको हैसियतसे और एक ऐसे व्यक्तिको हैसियतसे कह रहा हूँ जिसे इन सब बातोंका बहुत अनुभव है। मैं अपने दक्षिण आफ्रिका- के अनुभवोंसे यह समझ गया हूँ कि किसी दलित वर्गका सदस्य होनेका मतलब क्या होता है। दक्षिण आफ्रिकामें मेरे साथ दलित वर्गके व्यक्तिकी तरह व्यवहार किया गया था। वहाँ मुझे गोरे लोगोंसे अलग उस स्थानपर रहना पड़ा था, जिसे “बस्ती" कहते थे। वह स्थान सचमुच एक ढेढ़वाड़ा (भंगियोंके रहनेका स्थान) ही था। वहाँ सफाई वगैरहका कोई इन्तजाम नहीं था और न रोशनी, सड़कें अथवा किसी सभ्य शहरमें सुलभ होनेवाली सुविधाएँ ही थीं। वहाँ मैंने जाना कि अन्त्यज होनेका मतलब क्या होता है और मैंने वे सारे कष्ट सहे है जिनसे भारतमें आज मेरे भाई कराह रहे हैं। अगर आप अपने भाइयोंके साथ अच्छा बरताव नहीं कर सकते तो आपके भारतीय होनेसे क्या फायदा है, और आपके इस देशमें जन्म लेनेसे क्या लाभ है? अंग्रेजोंके हाथों आपको जो अपमान और अत्याचार सहना पड़ा है उसीके कारण आपने इस सरकारको शैतानी सरकार कहा है और आपने उसके साथ सहयोग न करने का निश्चय किया है। तो क्या आप भारतीय लोग भी अपने भाइयोंके साथ वही बरताव करेंगे जो गोरे आपके साथ कर रहे हैं ? आप जो कुछ कर रहे हैं, क्या उसका हिसाब-किताब करना उचित न होगा? क्या यह उचित नहीं होगा कि आप जो-कुछ कर रहे हैं, तनिक रुककर उसपर विचार करें? मैंने आपसे अस्पृश्योंके हाथका भोजन खानेके लिए नहीं कहा है, मैंने तो आपसे सिर्फ उनके साथ भाइयोंका-सा बरताव Gandhi Heritage Heritage Portal