पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/३४९

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१ १५०. विदेशी कपड़ेका बहिष्कार' ईश्वर महान् है। जिघरसे आशा नही होती वह उघरसे सहायता भेज देता है। अभी कुछ ही दिन पहले श्री दासने मुझे तार द्वारा यह सूचित किया था कि बगालमे तीन लाखसे ज्यादा रुपया इकट्ठा नही हुआ है। मेरे लिए यह घोषणा करना कोई छोटी बात नही थी कि भारतमे नियत तिथितक पूरा एक करोड़ रुपया एकत्रित नही हो पाया । मैने मित्रोसे कम पडनेवाली रकमकी पूर्तिका जिम्मा लेनेका बहुत आग्रह किया है। वै मुझे यह रकम देने के लिए तैयार हो गये लेकिन उन्होने यह ठीक नही समझा कि उनके नाम ससारके सम्मुख प्रकट किये जाये, क्योकि उनकी रायमें यह प्रसिद्धि पानेके प्रयत्न-जैसा लगता है। उन्होने कहा कि रकमको जहाँका-तहाँ मान- कर काग्रेस महासमितिको बैठकसे पहले बाकी रकम सार्वजनिक रूपसे इकट्ठी करनेका प्रयत्न किया जाये तो ज्यादा अच्छा होगा। मैने हार तो मान ली, लेकिन मेरा हृदय बहुत खिन्न हुआ कि ईश्वरने मेरी प्रार्थना नहीं सुनी। फिर भी मै यह जानता था कि ईश्वर सहायता देनेसे कभी नही चूकता। उसने बगालको मेरी रक्षाके लिए भेज दिया और बेजवाड़ामें राष्ट्रने जो सकल्प किया था वह हो गया। हमे नम्र भावसे उसके चरणोमे सिर झुकाना चाहिए, खुशियां मनानेके लिए हमे मार्गमे हरगिज नही रुकना है। हमें आगे बढते जाना चाहिए। यद्यपि सग्रह की हुई कुल रकम अब एक करोड़ ५ लाख रुपयेसे ऊपर पहुँच गई है, फिर भी प्रत्येक प्रान्तको एक करोड रुपयेमें से अपनी आनुपातिक रकम तो पूरी करनी ही चाहिए। लेकिन हमारा अगला आवश्यक कदम विदेशी कपडेका पूर्ण बहिष्कार करना है। पहली अगस्तको हम लोकमान्य तिलककी पुण्यतिथि मनाते है । यदि हम निश्चित रूपसे और विशेष प्रयास करे तो हम इस तारीखसे पहले ही विदेशी कपडेका लगभग पूर्ण बहिष्कार कर सकते है। मैं जानता हूँ कि इसके लिए हमे बहुत धडे बहुमतका समर्थन चाहिए। लेकिन यदि हम उतने ही उत्साहसे काम करे जितना हमने धन- संग्रह करनेमे दिखाया है तो सबका ऐसा समर्थन प्राप्त करना असम्भव नहीं है। भारतमें स्वराज्यकी स्थापना करनेकी शक्ति तभी आयेगी, उससे पहले नही । हम विदेशी कपडे- १. इस लेखका मूल शीर्षक था “अब हमें क्या करना चाहिए: एक अगस्ततक कपड़ेका बहिष्कार"। २. चित्तरजन दास । ३. ३-७-१९२१ के बॉम्वे क्रॉनिकलमें छपी रिपोर्टके अनुसार इस रकममें प्रान्तोंका भाग (लाखोंमें) इस तरह था: बम्बई नगर ३५१, बगाल २५, गुजरात और काठियावाड़ १५; पजाव ५, मद्रास और आन्ध्र ४, मध्य प्रदेश और करार ३, महाराष्ट्र (कम्बईके उपनगरों सहित) ३, बिहार ३, सिन्ध २, उत्तर प्रदेश २३, कर्नाटक १, दिल्ली २, अजमेर और मारवाइ उड़ीसा और असम : धर्मा १४