पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/३५०

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३२० सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय फीरोजशाह मेहता और जमशेदजी टाटा जैसे नर-रत्नोंको जन्म देकर देशके प्रति अपना ऋण पूरा-पूरा चुका दिया है। मैं आप लोगोंसे स्वराज्य-आन्दोलनमें, जो अब जोरों- पर है, भाग लेनेका अनुरोध करता हूँ। आप लोग जीवनके प्रत्येक क्षेत्रमें अन्य समु- दायोंका मुकाबला कर सकते हैं। अगर आपने अतीतमें इस देशके लिए इतना किया है, तो इस समय आप अपने-आपको इस आन्दोलनसे अलग क्यों रख रहे हैं? आप लोग बहुत समृद्ध हैं, आपके पास करोड़ों रुपये है, तो फिर आपने कोषके लिए और ज्यादा पैसा क्यों नहीं दिया? दादाभाईन राजनीतिक संन्यासीका जीवन व्यतीत करते हुए भारतको जो सेवा की थी वह भारतको, सिर्फ पारसियोंको ही नहीं वरन् समस्त समुदायों और जातियोंको, स्वतन्त्र करने के लिए ही की थी। मैं आपसे आपके मित्रके रूप में इसलिए बात करने नहीं जा रहा हूँ, क्योंकि मैं आप लोगोंका बहुत बड़ा प्रशंसक हूँ और दीर्घकालसे आप लोगोंके साथ मेरा बहुत निकट सम्पर्क रहा है। महात्माजीने आगे कहा कि अगर आप चाहें तो कोई भी काम बड़ी आसानीसे कर सकते हैं, क्योंकि आपका समाज सिर्फ अस्सी हजार लोगोंका एक छोटा और सुगठित समाज है। हिन्दुओं और मुसलमानोंके सम्बन्धमें यह बात नहीं कही जा सकती। अगर आप अंग्रेजोंके आनसे पूर्व स्वतन्त्र रह सकते थे तो मेरी समझमें नहीं आता कि आप स्वराज्य प्राप्त करने के बाद स्वतन्त्र क्यों नहीं रह सकते ? इस देशमें छोटे समु- दायोंकी रक्षा करना हिन्दुओं और मुसलमानोंका प्रथम कर्तव्य है। अगर हिन्दू और मुसलमान स्वयं अपने प्रति सच्चे हैं तो वे इस बातका ध्यान रखेंगे कि वे किसी भी पारसीके भूखे रहते अपने मुंहमें अन्नका एक कौर भी न डालेंगे। अगर हिन्दू और मुसलमान इसके अतिरिक्त कुछ और करना चाहते हैं तो माना जायेगा कि वे धर्म- राज्यके लिए काम नहीं कर रहे हैं। मैं आपको निर्भय बनाना चाहता हूँ और आपके मनमें किसी तरहको शंका नहीं रहने देना चाहता। मैं चाहता हूँ कि आप अपनी सारी शक्ति देशके कल्याणके लिए लगायें। अगर आप ऐसा करें तो आप इसी वर्ष स्वराज्य प्राप्त कर सकते हैं तथा आप खिलाफत और पंजाब सम्बन्धी अन्यायोंका भी निराकरण कर सकते हैं। अगर आप संसारपर अंग्रेजोंकी तरह राज्य करना चाहते हैं तब मैं कहूँगा कि भारतीय उसके लायक नहीं हैं और मैं ईश्वरसे प्रार्थना करूँगा कि वे कभी उसके लायक भी न हों। क्या भारतीय हब्शी लोगोंको गुलाम बनाना चाहते हैं अथवा उन्हें कैदी बनाना चाहते हैं अथवा उनसे बेगार करवाना चाहते हैं और उन्हें भिखमंगा बनाकर रखना चाहते हैं? मैं चाहता हूँ कि आप आत्मशुद्धिके द्वारा स्वतन्त्रता प्राप्त करें और फिर समस्त संसारसे बुराइयोंको दूर करें। मैं आपसे कहूँगा कि आप इसी क्षणसे स्वराज्यवादी बन जायें। आप स्वराज्य- वादी तो है ही, लेकिन आपके मन में अभी कुछ शंकाएँ हैं। मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ कि आप सब्वे स्वराज्यवादी बनें। आप इन प्रश्नोंपर अच्छी तरहसे विचार करें और अपने-आपसे पूछे कि गांधी जो यह-सब बातें करता है, सो क्या वह मूर्ख है। Gandhi Heritage Heritage Portal