पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/३५१

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भाषण : पारसियोंकी सभामें ३२१ भारत जो स्वराज्य प्राप्त करनेवाला है वह धर्मराज्य है। भारतीय असत्यपर नहीं, बल्कि सत्यपर आधारित स्वराज्यकी स्थापना करना चाहते हैं और हम उन सभी चीजोंसे दूर रहना चाहते हैं जो असत्य है। मुझे शैतानसे असहयोग करनेकी शिक्षा पारसी समाजसे ही मिली है। इसने मुझे शैतानसे, सभी बुराइयोंसे अलग रहना सिखाया है। में अंग्रेजोंसे घृणा नहीं करता और न मैं उन्हें इस देशसे ही निकाल बाहर करना चाहता हूँ, लेकिन मुझे भारतीयोंको लॉर्ड रीडिंगकी तरह अंग्रेजोंकी प्रजा बताना पसन्द नहीं है। इन बातोंपर विचार करते हुए मेरी आत्मा काँप उठती है। आपमें किसी भी बुराईका प्रतिरोध करनेकी शक्ति होनी चाहिए। स्वराज्य प्राप्त करने के लिए आपके पास रिवाल्वरोंका होना अथवा आपका बैरिस्टर और वकील बनना जरूरी नहीं है। जो चीज आवश्यक है वह है आत्मविश्वास, किन्तु मुझे दुःख है कि पारसी लोग शंकाओंसे इस तरह भरे हुए हैं। मैं आपसे याचना करता हूँ कि आप अपनी शंकाओंको दूर कर दें। मैं आपसे अपील करता हूँ कि आप सब स्वराज्यवादी बन जायें और स्व- तन्त्रता प्राप्त करनेके निमित्त अन्य समुदायोंके साथ मिलकर काम करें। इसके बाद श्री गांधीने शराबकी दुकानोंकी चर्चा की। उन्होंने कहा कि बम्बईमें पारसियोंके सिरपर एक बहुत बड़ा दायित्व है। बम्बईमें देशी शराबकी लगभग नौ सौ दुकानें हैं और अधिकांश दुकानोंके मालिक पारसी हैं। मेरे पास अनेक पारसी आये और उन्होंने मुझे बताया कि उन्होंने सरकारको एक सालकी पूरी रकम पहले ही दे दी है और अगर उनकी दुकानोंपर धरना दिया गया तो वे बरबाद हो जायेंगे और अपनी सारी पूंजी गँवा बैठेंगे। मैंने इन बातोंपर विचार किया है और मुझे दुकानदारों से बहुत सहानुभूति है। आप लोग सरकारके साथ सहयोग कर रहे हैं और आपने अपने खिताब नहीं छोड़े हैं, मुझे इसका तनिक भी दुःख नहीं है। लेकिन शराबकी दुकानोंकी बात अपेक्षाकृत अधिक गम्भीर है। मुझे दुःख है कि धरना देने- वालोंमें सिर्फ हिन्दू और मुसलमान ही हैं। क्या ही अच्छा होता, अगर मेरे पारसी भाई-बहन भी धरना देनेके इस काममें शामिल होते। में नहीं चाहता कि जोर-जबर- दस्ती की जाये, मैं नहीं चाहता कि इस पवित्र उद्देश्यके लिए किसी प्रकारके आपत्ति- जनक साधनोंका उपयोग किया जाये। जब पारसी स्त्रियां शराबकी दुकानोंपर जानेवाले पारसियोंकी राहमें खड़ी हो जायेंगी तब उन्हें शराबकी दुकानोंके अन्दर घुसनेमें शर्म आयेगी और उन्हें गाली देने में शर्म आयेगी तथा वे उनपर हाथ भी नहीं उठायेंगे। श्री गांधीने पारसियोंसे कहा कि आप शराब पीना छोड़ दें तथा अपने उन भाइयोंकी मदद करें जिन्हें धरना दिये जाने के कारण अपनी दुकानोंको बन्द करना पड़ा है। आप उन्हें सरकारसे उनकी रकम वापस दिलानेमें मदद करें और जिस तरह सम्भव हो, सहायता दें। अहमदाबादमें एक पारसी ठेकेदारने मुझसे शिकायत की कि धरना देने- वालोंने उसपर हमला किया लेकिन जांच करनेपर उसकी यह बात गलत साबित हुई। सच तो यह है कि स्वयंसेवकोंपर ही हमला किया गया था और अब वे अपने सिर- पर पट्टी बांधकर धरना दे रहे हैं। उन्होंने बदलेमें हाथ नहीं उठाया। २०-२१ Gandhi Heritage Portal