पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/३५२

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३२२ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय श्री गांधीने अपने पारसी भाइयों और बहनोंसे अपील की कि वे अन्य समुदायों द्वारा शराबखोरीको रोकने के लिए किये जानेवाले प्रयत्नोंमें सहायता दें। मैं नहीं सम- झता कि जो लखपती पारसी इस सभामें शामिल नहीं हुए हैं, वे मेरे आन्दोलनके विरुद्ध हैं और उन लोगोंसे मेरी प्रार्थना है कि वे शराबके ठेकेदारोंकी जितनी बने उतनी सहायता करें। इस बीच मैं आप लोगों [ दुकानदारों से स्वराज्यके काममें मदद देनेकी बात कहता हूँ। मैं भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि वह पारसी समाजको, स्वराज्य-प्राप्तिके लिए इस समय जो संघर्ष चल रहा है, उसमें उचित हिस्सा लेनेका बल प्रदान करे और इस समय उसका क्या कर्तव्य है, यह समझने की सबुद्धि दे। [अंग्रेजीसे] बॉम्बे क्रॉनिकल, १-७-१९२१ १४४. भाषण: बम्बईके व्यापारियोंकी सभामें' ३० जून, १९२१ महात्मा गांधीने कहा कि आप लोगोंने देशको स्वतन्त्र करने के निमित्त जो धन मुझे दिया है, उसके लिए मैं आपका कृतज्ञ हूँ। मैं आशा करता हूँ कि आप मुझसे इस समय लम्बे भाषणकी अपेक्षा नहीं करेंगे, क्योंकि शामको मुझे और भी दो सभाओं- में जाना है। आप लोगोंसे मुझे केवल यही कहना है कि यदि कोलाबाके सूतके व्यापा- रियोंकी तरह अन्य व्यापारियोंने देशको स्थितिको पहचान लिया तो पंजाब और खिला- फतके प्रति किये गये अन्यायोंका निराकरण करवाना कदापि कठिन नहीं होगा। मैं चाहता हूँ कि देशके व्यापारी अब अपने देशकी राजनीतिमें प्रमुख हिस्सा लिया करें। जबतक व्यवसायमें लगे हुए लोग देशके मामलों में अधिक दिलचस्पी लेना शुरू नहीं करते तबतक हमें अपने उद्देश्यमें सफलताकी जरा भी आशा नहीं करनी चाहिए। परन्तु इन वर्गोंमें जागृतिके शुभ लक्षण दिखाई देने लगे हैं। और यदि यही क्रम जारी रहा तो इस वर्षके भीतर ही स्वराज्य मिलना निश्चित समझिए। अपने देशकी राजनैतिक स्थितिमें प्रमुख भाग लेना व्यापारी-वर्गोंका प्रथम कर्तव्य है। श्री मथुरादासने ठीक ही कहा है कि स्वराज्य-कोषमें हमने जो-कुछ दिया है वह उतना नहीं है जितना कि होना चाहिए था। इस कथनका कारण यह है कि हम करोड़ों रुपयेके मूल्यका सूत प्रतिवर्ष बाहर भेज देते हैं और हमें उस पापके प्रायश्चित्तस्वरूप एक करोड़ रुपयमें जितनी कसर रहती हो उसे पूरा करना चाहिए था। ये एक करोड़ रुपये आज राततक इकट्ठे हो जाने चाहिए। मुझे भारतीयोंपर पूरा विश्वास है; आशा १. यह भाषण कपड़ा-व्यापारी संघके तत्वावधानमें हुई एक सभामें दिया गया था जिसमें कपड़ा- व्यापारियों और कर्मचारियोंने तिलक स्वराज्य-कोषके लिए गांधीजीको २,५०,००० की थैली भेंट की थी। Gandhi Heritage Porta