पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/३५४

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३२४ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय खद्दरमें ही समाहित है। इसलिए मैं अपील करता हूँ कि आजसे महिलाएं सभी विदेशी वस्त्रोंका परित्याग कर दें और अपनी तथा अपने बच्चोंकी पोशाक शुद्ध खद्दरको ही बनाया करें। [अंग्रेजीसे] बॉम्बे क्रॉनिकल, २-७-१९२१ । १४६. एक महिलाको लिखे पत्रका अंश रेलगाड़ीमें ३० जून, १९२१ समाचारपत्रोंमें आपके जेवरोंके बारेमें प्रकाशित एक अंशने आपके दानकी सारी खूबसूरती ही नष्ट कर दी है। मैंने यह आशा कर रखी थी कि वह दान त्यागका एक मौन कार्य होगा। मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि कई लड़कियोंने आपसे ज्यादा रकमें दानमें दी हैं। उन्होंने अपने नामका ढिंढोरा पीटनेकी इच्छा नहीं की। आजसे दो दिन पहले एक बहनने मुझे अपने सारे कीमती जेवर मोतीका हार, मानिकके कंगन और बुन्दे दे डाले। उस बह्नने ये सब चीजें बड़ी विनम्रता और शोभायुक्त ढंगसे दीं। वे अपना नाम प्रकाशित कराना नहीं चाहतीं। उन्होंने यह सब ईश्वरके नामपर दिया है। मुझे आपके लिए खेद है। इस कटु सत्यके लिए मुझे क्षमा कीजियेगा [अंग्रेजीसे] महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे । सौजन्य : नारायण देसाई -- महात्मा गांधीन १४७. भाषण: बाँदराकी सभामें' १ जुलाई, १९२१ कहा : कल रात हम सो नहीं सके हैं। हम दो बजेतक नाट्य- शालामें रहे। हम वहाँ नाटक देखने नहीं गये थे बल्कि तिलक स्वराज्य-कोषके लिए रुपया इकट्ठा करने गये थे। जब मैंने अपने मित्र मुहम्मद अलीको अपने थैलेमें जेवरोंके अतिरिक्त २५,००० रुपयेकी रकम लाते हुए देखा तो मुझे ३० वर्ष बाद फिर नाट्य- शालामें प्रवेश करनेपर अपार हर्ष हुआ। इसी कारण अली बन्धु सभामें नहीं आ सके १. गांधीजीने उत्तरी बम्बईके इस उपनगरमें सुबहके वक्त की गई एक सार्वजनिक सभामें भाषण दिया था । यह सभा उनको तिलक स्वराज्य-कोषके लिए. १५,००० रुपयेका चैक देनेके उद्देश्यसे आयोजित की गई थी। Gandhi Heritage Portal