पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/३५५

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भाषण : बाँदराकी सभामें ३२५ हैं, वे बिलकुल थक गये थे। यदि मैंने श्री पटेलको वचन न दिया होता तो स्वयं मेरे लिए भी यहाँ आ सकना कठिन था। श्री पटेल चाहते हैं कि यह राशि छोटी-छोटी रकमोंके रूपमें गरीब लोगोंसे इकट्ठी की जाये। मैं इस बारेमें उनसे सहमत हूँ और यदि इस देशके गरीब लोग थोड़ा-थोड़ा चन्दा देकर एक करोड़ रुपया पूरा कर दें तो मुझे प्रसन्नता हो। हम लगभग एक करोड़ रुपया इकट्ठा करने में समर्थ हो गये हैं। ४४ लाख रुपये शेष भारतने दिये हैं और बाकी रुपया इसी महाप्रान्तमें इकट्ठा किया गया है। मैं इस बातको प्रकाशित कर देना चाहता था कि हमने एक करोड़ रुपया इकट्ठा कर लिया है और इस देशकी लाज रह गई है। कल आधी राततक हम ८१-८२ लाखतक ही इकट्ठा कर पाये थे। जब हमने थोड़ेसे दिनोंमें इतनी बड़ी रकम इकट्ठी कर ली है तो हम शेष रकम भी बहुत आसानीसे इकट्ठी कर सकेंगे। फिर भी मैंने अपने ४ या ५ धनी मित्रोंसे इस कमीके बारेमें बातचीत की है और उन्होंने शेष रकमकी पूर्ति करनेका वचन दे दिया है। में इस बातको संसारके सम्मुख प्रकट करना नहीं चाहता कि मैने इस प्रकारका आश्वासन प्राप्त कर लिया है, क्योंकि मेरे मित्रोंने मुझसे कहा है कि यदि उनका नाम प्रकट कर दिया जायेगा तो इसका अर्थ उनका विज्ञापन करना ही होगा; इसके अतिरिक्त अन्य लोग अपना-अपना चन्दा रोक लेंगे। इसलिए मुझे आपके सम्मुख यह घोषणा करते हुए प्रसन्नता होती है कि एक करोड़ रुपया तो पूरा हो ही जायेगा। यदि यह रकम छोटे-छोटे चन्दोंके रूप में इकट्ठी की जाती तो मैं कहता कि बांदराके लोग स्वराज्यके योग्य है। यदि बाँदराके धनी लोगोंने कुछ नहीं दिया है तो मेरे लिए यह चिन्ताकी बात नहीं है। वे आगे चलकर देंगे। जब मुझे श्री पटेलने यह सूचना दी कि बाँदरामें तो केवल १०,००० रुपये इकट्ठे किये जा सकेंगे तो मुझे जरा भी बुरा नहीं लगा। यद्यपि इस रकमके इकट्ठा करनेपर मैं आपको बधाई देता हूँ, किन्तु आपमें से कुल मिलाकर कांग्रेसके जितने सदस्य बने हैं और बाँदरामें जितने चरखे चल रहे हैं उसपर आपको मैं बधाई नहीं दे सकता। मुझे एक करोड़ रुपयकी चिन्ता नहीं है, किन्तु मुझे कांग्रेसके एक करोड़ सदस्य बनाने- की चिन्ता जरूर है। जितने रुपयों की जरूरत मुझे है उसके बारेमें जब मैं अपने एक मित्रसे बात कर रहा था और उससे यह कह रहा था कि में एक करोड़ रुपयेसे सन्तुष्ट नहीं होऊँगा, मुझे तो कई करोड़ रुपये चाहिए, तब मेरे उस मित्रने कहा कि विक्टोरिया स्मारक-कोषमें भी लगभग ५२ लाख रुपये ही इकट्ठे हो पाये थे और वह कोष अधिकारियोंके प्रभावको काममें लाते हुए दबाव और खुशामदके जरिये इकट्ठा किया गया था। तिलक स्वराज्य-कोष बिना किसी दबावके और केवल स्वेच्छासे दिये गये पैसोंसे इकट्ठा किया गया है। तो फिर भला उस रकमको इकट्ठा करने में कितना प्रयत्न न किया गया होगा! हमने बेजवाडाका कार्यक्रम पूरा कर लिया है। लेकिन अब हमें कांग्रेसके सदस्य बनाने हैं और घर-घरमें संकल्पित संख्यामें चरखे चलवाने हैं। इस देशमें ६ करोड़ Gandhi Heritage Portal