पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/३५६

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३२६ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय परिवार रहते हैं। प्रत्येक घरमें चरखा होना चाहिए। मैं केवल चरखोंकी संख्यासे या उनके कते हुए सूतकी मात्रासे सन्तुष्ट होनेवाला नहीं हूँ। मुझे उससे भी बड़ी चीज चाहिए। मैं आपके शरीरोंपर चरखेकी छाप देखना चाहता हूँ। मेरे कहनेका अर्थ यह है कि आप सबको खद्दर पहनना चाहिए। यदि आप खद्दरका व्यवहार करते हैं तो साफ जाहिर है कि आप चरखका उपयोग कर रहे हैं। हम इतने सालोंसे एक भ्रममें फंसे रहे और इसलिए हम विदेशी कपड़ेका व्यवहार करते रहे। यदि हम स्वराज्य चाहते हैं तो हमें केवल खद्दरका ही उपयोग करना चाहिए। भारतीयोंको केवल स्वदेशी वस्त्र ही पहनने चाहिए और हर कार्य के लिए खद्दर ही काममें लाना चाहिए। लोक- मान्य तिलकने एक बार अपने एक मित्रसे कहा था कि यदि हमारा देश रोगों और मौसमी बुखारका घर बन जाये तब भी हम भारत छोड़कर इंग्लैंड नहीं जायेंगे और वहाँ रहकर स्वराज्य लेनेका प्रयत्न नहीं करेंगे। भारत हमारी मातृभूमि है और उसका जलवायु चाहे जितना बुरा हो तो भी हमें यहीं रहना है और यहीं मरना है। जब- तक हम ऐसा नहीं कर पाते तबतक इस देशके लोग कभी सुखी नहीं रह सकेंगे। यदि हमें भारतसे प्रेम है, यदि हम उन तिलक महाराजका आदर करते हैं जिन्होंने यह कहा था कि स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है, तो भारतीयोंको विदेशी कपड़े- का व्यवहार छोड़ देना चाहिए। अभी उस दिन एक पारसी महिलाने मुझे अपने एक हजारके विदेशी जेवर भेजे; मैंने उस महिलाको नहीं देखा है और मैं उसका नाम भी नहीं जानता। भारतीयोंको विदेशी जेवर क्यों पहनने चाहिए? क्या भारतके सब सुनार मर गये हैं? जबतक भारतमें सुनार हैं और उन्हें काफी काम नहीं मिल रहा है तबतक हम विदेशोंमें बने आभूषण क्यों पहनें? मुझे निश्चय है कि जिस पारसी बहनने मुझे अपने आभूषण दिये हैं वह अब खद्दर पहन रही होगी या यदि अबतक खद्दर नहीं पहनती होगी, तो अब जल्दी ही पहनने लगेगी। मेरा आपसे अनुरोध है कि आप शुद्ध स्वदेशीका व्यवहार करें। मैं आपसे धन देने का अनुरोध नहीं करता, क्यों कि धन तो किसी-न-किसी तरह इकट्ठा किया ही जा सकता है। किन्तु मेरी आपसे पहली प्रार्थना यही है कि आप विदेशी कपड़ा पहनना छोड़ दें। सितम्बरके बाद मैं आपसे ये बातें नहीं कहूँगा। सितम्बरके बाद में अपने मुसलमान मित्रोंसे यह कहने जा रहा हूँ कि यदि वे खिलाफतके प्रश्नका निपटारा अपनी इच्छाके अनुसार कराना चाहते हैं तो वे केवल स्वदेशी कपड़े का व्यवहार करें। आपमें से हरएक स्त्री-पुरुषको चरखे- का प्रयोग करना चाहिए और आजसे केवल स्वदेशी कपड़ेका व्यवहार करने का निश्चय कर लेना चाहिए। हमारे कार्यों में एक नया दौर शुरू हुआ है और यदि हम स्वदेशी कपड़ेका उपयोग करेंगे तो हमारी शक्ति कई गुनी हो जायेगी। [अंग्रेजीसे बॉम्बे क्रॉनिकल, २-७-१९२१ Gandhi Heritage Portal