पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/३६०

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३३० सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय बनना ही चाहिए। अगर आप पैसा दें तो वह विदेशी कपड़ेका त्याग करनेके वचनके रूपमें ही दें। आप यह सोचकर कि विदेशी कपड़े के व्यापारसे पैसा कमा लेंगे, स्वराज्य- कोषमें पैसा नहीं दे सकते। आप विदेशी कपड़ेके व्यापारको गोमांस और शराब तुल्य समझें। आप आढ़तका धन्धा करते हैं और दलाल द्वारा माल भेजते हैं। उसमें आप विदेशी कपड़ा भी भेजते हैं। इसलिए आप प्रतिज्ञा करें कि आप अपने ग्राहकोंको ऐसा माल नहीं भेजेंगे। क्या कोई हिन्दू अपने ग्राहकको शराब भेज सकता है ? जो वस्तु हम ग्राहकको भेज नहीं सकते तो उसका व्यापार कैसे कर सकते हैं ? इसी तरह हम विदेशी कपड़ेका भी व्यापार नहीं कर सकते । आपके दिलोंमें अंग्रेज अथवा अंग्रेजी कपड़ा बनानेवाले के प्रति तिरस्कार न होकर, विदेशी कपड़ेके प्रति होना चाहिए । देश जिस धन्धेसे गुलामीके गर्तमें गिरता है उससे आप पैसा कमायें, यह कैसे सम्भव है? एक पारसी भाई शराबके बारेमें मुझसे पूछने आये। उनसे मैंने कहा कि अगर आप भिखारी भी बन जायें तो भी आपको शराबको हराम समझना चाहिए । जो चीज हिन्दके हिन्दुओं और मुसलमानोंको फूटी आँख नहीं सुहाती उससे आप कमाई कैसे कर सकते है ? यही बात विदेशी कपड़ेपर भी लागू होती है। शराबकी दुकानोंपर हम जैसे धरना देते है वैसे ही विदेशी कपड़े की दुकानोंपर भी क्यों न दें, यह बात मेरी समझमें नहीं आती। विदेशी कपड़ेका बहिष्कार तो अधिक महत्त्वका है। बहनो, आप विदेशी कपड़ा खरीदती हैं, सो अधर्म है। विदेशी कपड़ा खरीदना अर्थात् अपने बालकको छोड़कर पराये बालकको गोद लेना। विदेशी कपड़ोंमें आप सुन्दर लगती हैं, ऐसा आप समझती हैं। लेकिन सच्चा सौन्दर्य तो आपकी कर्तव्यपरायणतामें है। सीताने उद्धत रावण द्वारा भेजे गये कपड़ोंका तिरस्कार कर पत्तोंसे अपने शरीरको ढकना अधिक पसन्द किया था। आप बहनें भी सीताजी बनें। आप विदेशी कपड़ा न छोड़ें और स्वराज्य माँगें, यह कैसे हो सकता है ? पहली अगस्तसे पहले-पहले आपको इतना तो करना ही होगा। आपमें से जो साहसी हों वे विदेशी कपड़ेको जला डालें। कंगालोंको देना चाहें तो मुझे दें; क्योंकि आप असली कंगालोंको नहीं पहचानते। उन्हें तो मैं ही पहचानता हूँ। आपने उन्हें पहचाना होता तो आप विदेशी ठाठमें आनन्द न मनाते, मौज- शौक न करते। आप विदेशीके मोहको त्याग दें, तभी हमारा काम हो सकता है। आपने जो रुपया दिया है उसके पीछे निहित वचनका आप पालन करें। अभी तो हमें सिर्फ उसीकी जरूरत है। [गुजरातीसे] गुजराती, १०-७-१९२१ GandhiHeritage Portal