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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हूँ कि यदि भंगीको स्पर्श करनेसे हम अस्पृश्य हो जाते हैं तो यह वर्णाश्रम धर्मकी ज्यादती है, उसपर चढ़ा हुआ मैल है।

[ गुजरातीसे ]

नवजीवन, १-५-१९२१

८. भाषण : मानपत्रके उत्तरमें

१९ अप्रैल, १९२१
 

मुझे यह कह देना जरूरी जान पड़ता है कि जिस तरह प्रत्येक व्यक्ति पौष्टिक पदार्थ खा अथवा हजम नहीं कर सकता उसी तरह मेरे लिए जिन पौष्टिक विशेषणों-का प्रयोग किया गया है मेरी समझमें मैं उन्हें हजम नहीं कर सकूंगा। हाँ, इस दिशामें मैं प्रयत्न अवश्य कर रहा हूँ कि किसी दिन उनके योग्य अवश्य बन जाऊँ। मैं प्रयत्न कर रहा हूँ कि क्रोधको अक्रोध और असत्यको सत्यसे पराजित करूँ और ऐसा करते-करते मर जाऊँ। लेकिन फिलहाल तो आपने मेरे लिए जिन विशेषणोंका प्रयोग किया है उनका कोई उपयोग नहीं हो सकता । इन विशेषणोंको सुनकर अगर मैं लापरवाह हो जाऊँ अथवा उद्धत बन जाऊँ और ऐसा मान लूं कि प्रजाने मुझे ऐसा कहा है इसलिए मैं लायक बन गया हूँ तो उसी दिनसे मेरा अधःपतन आरम्भ हो जायेगा । मेरा पुरुषार्थ मेरी नम्रतामें है, मर्यादाका उल्लंघन न करनेमें है। मेरा और हिन्दुस्तानका मंगल इसीमें है कि मैं इतना जाग्रत रहकर अपना कार्य करूँ ।

आप मुझे मानपत्र देते हैं, यह देशमें हुई अद्भुत जागृतिका सूचक है । इसका अर्थ यही है कि नगरपालिकाने अपने अधिकारको पहचान लिया है। मैंने नगरपालिकाओं-की मार्फंत देशका बहुत ज्यादा कार्य करनेकी आशा रखी है । यही कारण है कि कांग्रेसके अन्तिम दो अधिवेशनोंमें जो प्रस्ताव पास किये गये उनमें नगरपालिकाओंसे असहयोगमें शामिल होनेके लिए नहीं कहा गया है । उनमें सहकारकी गन्ध है, स्पर्श है; लेकिन इस समय हमारे पास तो एक भी ऐसी वस्तु नहीं है कि जिसमें सहकारका स्पर्श न हो। गेहूँका एक दाना खानेमें भी सहकार है।अभी हम जो असहयोग कर रहे हैं उसमें तो एक बालक भी हाथ बँटा सकता है। यदि हम तीव्र असहयोग कर सकें तो असहयोग एक इतनी चमत्कारपूर्ण वस्तु है कि हम एक ही दिनमें स्वराज्य प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन मैंने तो देशके सम्मुख असहयोगका बहुत ही आसान रूप प्रस्तुत किया है; उसे वह सरलतासे सहन कर सकता है। इसमें प्रत्येक नगरपालिका शामिल हो सकती है । यदि देशकी हर नगरपालिका इस बातको समझ जाये और अपनी शक्तिके अनुरूप कार्यक्रम बना ले तो उनकी मार्फत स्वराज्य सहज ही प्राप्त किया जा सकता है ।

१. यह मानपत्र सूरत नगरपालिकाकी ओरसे दिया गया था ।

२. कलकत्ता और नागपुर अधिवेशन जो क्रमशः सितम्बर और दिसम्बर १९२० में हुए थे।