पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/४१८

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३८६ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय देनी चाहिए, खासकर तब जब मैं एक ऐसे खेमे में हूँ जिसको भारतीय जनता विरोधी दल मानती है। [अंग्रेजीसे] यंग इंडिया, १३-७-१९२१ १७९. पत्र-लेखकोंसे एक प्रशंसक : अली बन्धु खिलाफतके कोषसे निर्वाह नहीं करते। आर० जे० वर्मा : जहाँ-जहाँ ताल्लुके, जिले या प्रान्तका पूरा भाग इकट्ठा नहीं किया जा सका है, वहाँ निश्चय ही कांग्रेस महासमितिकी बैठक के बाद भी चंदा इकट्ठा करना जारी रहना चाहिए। और जो व्यक्ति अपना चंदा लिखा चुका है वह सौजन्यपूर्वक यह कहकर तो इनकार कर ही नहीं सकता कि पूरा भाग तो इकट्ठा किया ही जा चुका है। जिन वकीलोंने कांग्रेसके प्रस्तावके अनुसार वकालत बन्द कर दी थी, वे यदि फिर वकालत आरम्भ करें तो शिष्टाचारका तकाज़ा तो यह होगा कि वे किसी कांग्रेस कमेटीमें पद-ग्रहण न करें। 'स्वराज्य : यदि कोई स्वदेशी भण्डार जापानी कपड़ेको स्वदेशी कपड़ेके नामसे बेच रहा है, तो निश्चय ही उसका भंडा-फोड़ किया जाना चाहिए और उसका बहिष्कार किया जाना चाहिए। इस तरहकी धोखाधड़ी के विरुद्ध विवेकपूर्ण सक्रिय लोकमत तैयार करना अत्यन्त अचूक उपाय होता है। इसके अतिरिक्त लोगोंको सब तरहका बारीक कपड़ा त्याग देना चाहिए। हाथ-कते सूतके और हाथ-बुने कपड़े में भ्रमकी गुंजाइश ही नहीं है। [अंग्रेजीसे] यंग इंडिया, १३-७-१९२१ १८०. सन्देश : धारवाड़की जनताको [१४ जुलाई, १९२१ के पूर्व] धारवाड़में गवर्नमेंटकी कार्रवाइयोंको में अत्यन्त ध्यानपूर्वक देख रहा हूँ। जो लोग सरकारी जुल्म के शिकार हुए हैं उनके सम्बन्धियोंको मैं बधाई देता हूँ और जनताको भी उसके धैर्य और सहनशीलताके लिए बधाई देता हूँ। मुझे यह जानकर अत्यन्त प्रसन्नता हुई है कि धारवाड़ के निवासियों का उत्साह गिरफ्तारियों के बावजूद मन्द नहीं पड़ा। मुझे विश्वास है कि यदि हम लोग अपने धैर्य और अहिंसाके सिद्धान्तके अनुसार काम करते रहे तो धारवाड़ जैसी घटनाएँ स्वराज्य-सिद्धिमें बहुत सहायक होंगी। ज्ञानपूर्वक बदला न लेना जनताके साहसको दूना कर देता है और Gandhi Heritage Portal