पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/५०८

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२३०. पत्र: ज० बो० पेटिटको [जुलाई १९२१ के अन्तमें] प्रिय श्री पेटिट, १८ तारीखके पत्रके लिए धन्यवाद स्वीकार करें। मेरा खयाल था कि रुक्का २,००० का था। मैं याददाश्तसे लिख रहा हूँ। कृपया २,००० में से ५०० रुपये भेज दीजिए। हृदयसे आपका, अंग्रेजी पत्र (जी० एन० ८२३१) की फोटो-नकलसे । २३१. सन्देश : खेड़ा जिलेको जनताको [१ अगस्त, १९२१ के पूर्व] खेड़ाके भाइयो और बहनो, मैंने आप लोगोंसे सदा बहुत आशाएँ रखी है, और अब आपने अपने हृदयोंमें भाई अब्बास तैयबजीको स्थान दिया है। इससे मेरी ये आशाएँ और बढ़ गई हैं। आपने तिलक स्वराज्य-कोषमें अपेक्षासे अधिक रकम दी। अब भारतकी यह दूसरी प्रतिज्ञा अधिक कठिन है, किन्तु वह आपके लिए कठिन नहीं हो सकती। किसानोंको विदेशी कपड़ेका मोह नहीं हो सकता। किसान लोग महीन कपड़े पहनने में संकोच करेंगे। चरखा खेड़ाके सारे भयको दूर करनेवाली प्रधान वस्तु है। हमने चरखेके प्रभावको समझ लिया है। अब हमें सर्वथा उसीका आश्रय ले लेना चाहिए। ऐसा करने- वाले लोगोंको विदेशी कपड़ेका पूर्ण बहिष्कार करना ही चाहिए। इस कार्यको आरम्भ करनेके लिए जितना पुनीत दिवस लोकमान्य तिलककी संवत्सरीका दिन हो सकता है उतना कोई दूसरा नहीं। उस दिन आप विदेशी कपड़ेकी होली जलाकर अपना मैल धो डालें और फिर आपको कितना ही कम कपड़ा क्यों न मिले, उसीसे काम चलायें एवं खेड़ामें ही अपनी जरूरतके लायक खादी तैयार करनेका दृढ़ संकल्प कर लें। मेरी कामना है, प्रभु इस कार्य में आपकी सहायता करे। मोहनदास करमचन्द गांधी [ गुजरातीसे] गुजराती, ७-८-१९२१ । Gandhi Heritage Portal