पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/५१०

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४७८ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय दौड़ती है वह तिलक महाराजकी पूजा क्या करेगा? ऐसी पूजाको क्या तिलक महाराजकी आत्मा स्वीकार करेगी? जो व्यक्ति देवताको भक्तिपूर्वक 'पत्रंपुष्पंफलंतोयम्' चढ़ाता है उसपर देवता प्रसन्न होते हैं। और भक्तिका अर्थ है भावपूर्वक अनुकरण । पुजारीकी परीक्षाको घड़ी आ पहुँची है। आज लोकमान्यकी पुण्यतिथि हम किस तरह मनायेंगे? क्या हम इसी वर्ष स्वराज्य प्राप्त करनेका दृढ़ निश्चय करेंगे? क्या हम विदेशी कपड़ेके शृंगारको उतार फेंकेंगे? जो अपना कर्त्तव्य नहीं जानता, उसे अधिकार नहीं मिलता। जो अपना कर्तव्य अदा नहीं करता वह मुक्ति-पत्र कैसे मांग सकता है ? जिस तरह स्वराज्य जन्मसिद्ध अधिकार है उसी तरह स्वदेशी भी जन्मजात कर्त्तव्य है। स्वदेशी बिना स्वराज्य नहीं होता। स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है -- यह 'तिलक गीता' का पूर्वार्द्ध है; स्वदेशी हमारा जन्मजात कर्तव्य है -यह उत्तरार्द्ध है। इसलिए लोकमान्यकी पुण्य-तिथि अगर हम अच्छी तरहसे मनाना चाहते हों तो वह स्वदेशी व्रतको धारण करके ही मना सकते हैं। विदेशी कपड़ेका पूर्णतया त्याग किये बिना स्वदेशी-मन्त्रका जाप नहीं हो सकता। विदेशी कपड़ा मैल है। इस मैलको निकाले बिना हम स्वच्छ नहीं हो सकते और स्वच्छ हुए बिना स्वराज्य-मन्दिरमें प्रवेश करनेका हमें अधिकार नहीं है। जैसा कि मौलाना मुहम्मद अलीने कहा है, शान्तिसे स्वराज्य प्राप्त करनेका अर्थ स्वच्छन्दता नहीं है। हम कुछ भी त्याग न करें और केवल शान्ति-पाठ ही करते रहें तो यह मात्र मन्दता अथवा आलस्य कहलायेगा। त्याग और उद्यमविहीन शान्ति तो मृत्यु है। शव-जैसी शान्तिसे क्या लाभ है? ऐसी शान्तिका क्या उपयोग हो सकता है ? कायर व्यक्ति भय देखकर घरमें छिपकर बैठ जाता है। ऐसीशान्तिसे घरका नाश ही हो जाता है। हमने जिस शान्तिकी प्रतिज्ञा ली है वह वीरताकी सूचक है। विदेशी कपड़ोंका त्याग करनेकी भी अगर हममें शक्ति नहीं है, बहादुरी नहीं है, इच्छा नहीं है तो हमारी यह शान्ति केवल दम्भ है। दम्भ तो एक नाटक है। नाटक में बहाये गये आँसुओंसे क्या ज्ञानोपलब्धि होती है ? इसलिए जो व्यक्ति तिलक महाराजकी पूजाका इच्छुक है, उसे तो सम्पूर्ण स्वदेशी- व्रत लेना ही पड़ेगा। स्वदेशी वस्त्र धारण किये बिना यदि कोई लोकमान्यका स्मरण करता भी है तो उसका फल तोतेकी तरह रटी हुई ‘भागवत' जितना होगा। [गुजरातीसे] नवजीवन, १-८-१९२१ Gandhi Heritage Portal