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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

(३) मुझे स्वीकार करना चाहिए कि प्रधान मन्त्री मेरे लिए एक समस्या हैं। वे निश्चय ही अभीतक भारतीय मुसलमानोंके ऋणी हैं और उनसे उऋण नहीं हुए हैं।

(४) ये मन्त्री जबतक इस प्रणालीसे, जो इनका अनुचित उपयोग भारतको पतित बनानेके लिए कर रही है, सर्वथा मुक्त नहीं हो जाते तबतक मुझे उनको प्रोत्साहन देनेसे आदरपूर्वक इनकार ही करना चाहिए। (संयुक्त प्रान्तमें जो-कुछ हो रहा है वह मेरे इस कथनकी पुष्टि करता है)

(५) यदि मुझमें विनोद-वृत्ति न होती तो मैंने कभीकी आत्महत्या कर ली होती।

[अंग्रेजीसे]
लीडर, १०-८-१९२१

 

२४५. भाषण : कानपुरमें[१]

९ अगस्त, १९२१

महात्माजीने आरम्भमें सबको धन्यवाद देते हुए कहा कि आप लोगोंके अभिनन्दनपत्रमें एक त्रुटि है। आप लोगोंने मौलाना मुहम्मद अलीका नाम इसमें नहीं लिया है, इससे ऐक्यमें फर्क पड़ता है। इस समय हिन्दू-मुस्लिम ऐक्यकी परम आवश्यकता है। इसी ऐक्यपर खिलाफत तथा पंजाबके अन्यायोंका निपटारा और अन्तमें स्वराज्यकी सिद्धि निर्भर है। गोरक्षाका प्रश्न भी खिलाफतपर ही निर्भर है। हिन्दुओंको बिना किसी बदलेके खिलाफतके वास्ते आत्मत्याग करनेके लिए प्रस्तुत रहना चाहिए। मैं नित्य प्रातःकाल गौओंकी रक्षाके लिए प्रार्थना करता हूँ। गोवध हिन्दुओंके पापका फल है और इन्हीं पापोंके कारण हमारे साथ हमारे भाइयोंकी सहानुभूति नहीं है। हम लोगोंको अपने पापोंका प्रायश्चित्त करना चाहिए। हिन्दू-मुस्लिम ऐक्यको अत्यन्त आवश्यकता है ताकि खिलाफत प्रश्नका सन्तोषजनक निर्णय हो। खिलाफत ही हिन्दू-मुसलमानोंको एक करेगी।

इसके साथ-साथ शान्ति और अहिंसाकी भी बड़ी आवश्यकता है। हम लोगोंकों अपने क्रोधको जीतना चाहिए और ईश्वरसे प्रार्थना करनी चाहिए कि हम लोगोंमें से क्रोधका लोप हो जाये।

स्वदेशीके बिना स्वराज्य नहीं मिल सकता। महिलाओंका धर्म है कि वे खावी ही पहनें। उनको महीन वस्त्रोंका त्याग कर देना चाहिए। मुझे पूर्ण आशा है कि पहली जनवरीतक स्वराज्य अवश्य मिलेगा। यदि उस समयतक स्वराज्य न मिला

  1. कानपुरके नागरिकों द्वारा दिये गये अभिनन्दनपत्रके उत्तरमें। इससे पहले गांधीजीने महिलाओंकी सभामें स्वदेशीपर और मारवाड़ी विद्यालयमें आयोजित कपड़ेके व्यापारियोंकी सभामें विदेशी वस्त्रके बहिष्कारपर भाषण दिये थे।