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२४७. पत्र : मणिलाल कोठारी और फूलचन्द शाहको

[कानपुर
९ अगस्त, १९२१][१]

भाईश्री मणिलाल और फूलचन्द,

बढवानमें काठियावाड़ राजनैतिक सम्मेलन करनेके सम्बन्धमें मेरा कहना यह है कि मैं इस सम्बन्धमें अपना मत अभी व्यक्त नहीं कर सकता। जब सितम्बरके महीनेमें मेरा दौरा खत्म होगा तब यदि आप पूछेंगे तो मैं निश्चित उत्तर दूँगा। यदि मैं उसकी अध्यक्षता करनेका निर्णय करूँगा तो मैं कार्यको अधूरा नहीं छोड़ सकता। यह नहीं हो सकता कि मैं सविनय अवज्ञा करने के बारेमें सलाह तो दे दूँ और बैठ जाऊँ। इस कारण मैं सम्मेलनकी अध्यक्षता करनेके सम्बन्धमें पहलेसे कोई निश्चय नहीं कर सकता।

मोहनदास गांधी वन्देमातरम्

[गुजरातीसे]
गुजराती, १४-८-१९२१

 

२४८. भाषण : इलाहाबादकी सभामें[२]

१० अगस्त, १९२१

श्री गांधीने अपना भाषण प्रारम्भ करते हुए कहा कि संयुक्त प्रान्तमें इस समय जो दमन हो रहा है मैं उसके बारेमें कुछ कहना चाहता था, किन्तु अब उसके विषयमें कुछ कहे बिना केवल उन साथी कार्यकर्त्ताओं को बधाई देता हूँ जो जेल गए हैं। आपको यह समझ लेना चाहिए कि यदि आपमें से कोई जेल चला जाये तो भी स्वराज्यके कार्यमें ढील नहीं होनी चाहिए। जबतक आप ऐसा अनुभव नहीं करते तबतक आप न तो स्वराज्यके योग्य हैं और न जेलके ही। यदि आप इसी वर्ष स्वराज्य प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको जेल और मृत्युका भय छोड़ देना चाहिए। बल्कि आपको तो यह सोचना चाहिए कि निर्दोष व्यक्तिको हर जेलयात्रा और मृत्यु स्वराज्यको अधिकाधिक निकट ले आती है। जबतक आप ऐसा अनुभव नहीं करते तबतक मैं समझँगा कि

  1. साधन-सूत्रमें यही तारीख है।
  2. यह सभा स्वराज्य सभाके मैदानमें साँझको हुई थी। इसमें १०,००० से अधिक लोग शामिल हुए थे और इसकी अध्यक्षता पण्डित मोतीलाल नेहरूने की थी। इस सभामें मुहम्मद अली और स्टोक्सने भी भाषण दिये थे।