पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/५५९

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- - स्वराज्यकी व्याख्या ५२७ बजायें और मुसलमानोंका जी न दुखायें, बल्कि मसजिदोंके पाससे गुजरते हुए बाजे बन्द रखने में बड़प्पन समझें। (८) स्वराज्यका अर्थ है --हिन्दू, मुसलमान, सिख, पारसी, ईसाई, यहूदी, सभी धर्मोके लोग अपने-अपने धर्मका पालन कर सकें और ऐसा करते हुए एक-दूसरेकी रक्षा और एक-दूसरेके धर्मका आदर करें। (९) स्वराज्यका अर्थ है कि प्रत्येक ग्राम चोरों और डाकुओंके भयसे अपनी रक्षा करने में समर्थ हो जाये और प्रत्येक ग्राम अपने लिए आवश्यक अन्न-वस्त्र पैदा करे। (१०) स्वराज्यका अर्थ है. देशी राज्यों, जमींदारों और प्रजामें मित्रभाव रहे, देशी राज्य अथवा जमींदार प्रजाको परेशान न करें और रियाया, राजा अथवा जमींदारको तंग न करे। (११) स्वराज्यका अर्थ है -धनवान् और श्रमजीवियोंमें परस्पर मित्रता। मजदूर उचित मजदूरी लेकर धनवान्के यहाँ खुशीसे मजूरी करे। (१२) स्वराज्य वह है जिसमें स्त्रियाँ माता और बहनें समझी जायें और उनका मान-आदर हो तथा ऊँच-नीचका भेदभाव दूर होकर सब परस्पर भाई-बह्नकी भावनासे बरताव करें। इन व्याख्याओंसे सिद्ध होता है कि (१) स्वराज्यमें राज्यसत्ता, शराब, अफीम इत्यादि [मादक पदार्थों का व्यापार न करे। (२.) स्वराज्यमें अनाज और रुईका सट्टा न हो। (३) स्वराज्यमें कोई कानूनको भंग न करे (४) स्वराज्यमें स्वेच्छाचारके लिए बिलकुल स्थान न रहे, जिससे कोई अपने ही खिलाफ की गई शिकायतका फैसला खुद ही काजी बनकर न करे बल्कि देशकी बनाई अदालतमें अपने खिलाफ की गई फरियादका फैसला होने दे। [गुजरातीसे] नवजीवन, १४-८-१९२१ । Gandhi Heritage Porta