पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/५८२

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परिशिष्ट ३ भेट तथा क्षमा-प्रार्थना श्री गौकत अली तथा श्री मुहम्मद अलीके बारेमे वाइसराय महोदय और श्री गाधीके बीच जो वार्ताएं हुई है, उनके सम्बन्धमे समाचारपत्रोमे अनेक चक्तव्य तथा कुछ निष्कर्ष भी प्रकाशित हुए है। लोगो, विशेषतया श्री गांधी, ने वाइसराम महोदयका ध्यान उन बक्तव्यो तथा प्रकाशित निष्कर्षोकी ओर आकर्षित करते हुए कहा है कि उनमे इन वार्ताओके बारेमे कुछ प्रान्तियाँ दिखती है। वाइसराय तथा श्री गाधीके बीच हुई मुलाकातोंकी जडमे वह बार्तालाप है जो भारतमे सामान्यतया फैली परिस्थितिके सम्बन्धमे वाइसराय और पण्डित मालवीयके बीच हो चुका था। वाइसरायने पण्डित मालवीयको बताया कि सरकारने फैसला किया है कि श्री शौकत अलीपर उनके द्वारा दिये गये हिसाको प्रोत्साहन देनेवाले भाषणोके कारण मुकदमा चलाया जाये। वातचीत तव सम्भावित उपद्रवोके बारेमे होने लगी। पण्डित मालवीयने अपनी यह सम्मति व्यक्त की कि श्री गाधीसे मुलाकात करना वाइस- राय महोदयके लिए उपयोगी होगा। वाइसराय महोदयने उत्तरमे कहा कि यदि श्री गावी मुलाकात चाहे तो उन्हे श्री गाधीसे मिलने तथा उनके विचार मुननेमे प्रसन्नता होगी। दूसरे दिन श्री एन्ड्रयूज वाइसरायसे मिले और उन्हे श्री गाधीसे मिलनेका सुझाव दिया। यह कह देना उचित ही होगा कि इन वार्तालापोमे बहुतसे महत्वपूर्ण विपयोपर विचार-विनिमय हुआ और यह तय हुआ कि वाइसराय तथा श्री गाधीके वीच होनेवाली प्रस्तावित भेटमे [भारतको] परिस्थितिपर सामान्य रूपसे चर्चा की जायेगी। वाइसराय महोदय जानते है कि पण्डित मालवीयने श्री गाधीको शिमला वुलाते समय श्री गौकत अली तथा श्री मुहम्मद अलीके खिलाफ जो कानूनी कार्रवाई प्रारम्भ की जानेवाली है उसका अपने पत्रमे कोई जिक्र नहीं किया था। पण्डित मालवीय तथा श्री एन्ड्रयूजके अनुरोधपर श्री गाधी यथासमय शिमला आये और उन्होने वाइसरायसे मुलाकातका समय मांगा। मुलाकातकी व्यवस्था तुरन्त कर दी गई। पहले दिनकी वार्तामै प्रस्तावित मुकदमोकी कोई भी बात नही उठाई गई। उस दिन तो भारतमे फैले हुए असन्तोपके कारणोपर ही बातचीत होती रही। दूसरी मुलाकातके अवसरपर वाइसराय महोदयने कहा कि सरकारी रिपोटोंसे प्रकट हुआ है कि जिम्मेदार असहयोगियोने श्री गाधी द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्तोके विरुद्ध हिंसा भड़कानेवाले व्याख्यान दिये है। श्री गाधीने किसी जिम्मेदार असहयोगी द्वारा हिंसा भड़कानेके आरोपका खण्डन करते हुए कहा अगर मुझे यह यकीन हो जाये कि किसी भी जिम्मेदार असहयोगीने हिंसाको प्रोत्साहन दिया है और अगर वह अपने उन भापॉपर जिनसे हिंसाको प्रोत्साहन देनेकी ध्वनि निकलती है, खेद प्रकट न करेगा, तो मैं उसकी तथा उसके भाषणोकी सार्वजनिक रूपसे निन्दा करनेको तैयार हूँ। वाइ-