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भाषण : सूरत जिलेमें

टॉड' हमें बताते हैं कि "यूरोपमें तो एक ही थर्मापोली है लेकिन भारतमें तो हर एक मुहल्लेमें थर्मापोली दिखाई देती है।" हिन्दुस्तानमें कितने वीर पुरुष हो गये हैं इसके लिए मैं आपके सामने इतिहास के पन्ने क्यों खोलूं? मैं तो आपसे इतना ही कहता हूँ कि आप अपने हृदयको टटोलें और देखें कि आज हममें ऐसी वीरता है या नहीं।

[ गुजरातीसे ]

नवजीवन, ५-५-१९२१

१७. भाषण : सूरत जिलेमें

२२ अप्रैल, १९२१
 

उन्होंने विभिन्न स्थानोंपर जो संदेश दिया उसमें चार बातें मुख्य थीं -- ३० जून तक एक करोड़ रुपये इकट्ठा करना, कांग्रेसके सिद्धान्तोंसे सहमति रखनेवाले एक करोड़ व्यक्तियोंके हस्ताक्षर जमा करना, बीस लाख चरखे चालू कराना और जितनी जल्दी हो सके छुआछूतके अभिशापसे छुटकारा पाना । भारतकी स्वराज्य पानेकी योग्यता कितनी है इसकी कसौटी इन उद्देश्योंकी सफलताका परिमाण ही होगा। यदि हम इनमें आज सफलता प्राप्त कर लें तो स्वराज्य कल आया ही समझिए ।....

महात्माजीने आगे सलाह देते हुए कहा : अब वकालत न छोड़नेवाले वकीलों और सरकारी स्कूल न छोड़नेवाले विद्यार्थियोंकी बात करना जरूरी नहीं रहा। सरकारकी तरह इन वकीलों और विद्यार्थियोंकी प्रतिष्ठा भी घट चुकी है। अब असहयोगियोंको चाहिए कि वे इस कार्यक्रमको पूरा करके दिखायें और इस प्रकार आन्दोलनके विरोधियों और उसमें भाग लेनेसे झिझकनेवालों को अपने पक्षम करें। उन्होंने कहा कि यदि सूरत जिला और यहांतक कि एक गाँव भी स्वराज्य हासिल करनेके एकमात्र उद्देश्यको सामने रखकर अपनी सारी शक्ति अन्य किसीकी राह देखे बिना इसी उद्दे-व्यकी प्राप्तिके लिए लगा दे तो संसारकी कोई ताकत उसे स्वराज्य प्राप्त करनेसे नहीं रोक सकती। यह कार्यक्रम इसी भावनाके साथ कार्यान्वित किया जाना चाहिए। यदि कोई एक जिला या प्रान्त स्वराज्य हासिल कर ले तो शेष भारत भी दूसरे ही दिन स्वराज्य हासिल कर लेगा। उन्होंने आगे कहा कि स्वराज्य एक स्वाभाविक चीज है; वह कोई ऐसी कृत्रिम चीज नहीं है जिसे तैयार मालकी तरह इंग्लैंडसे मँगाया जा सके या कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे कोई आदमी किसी दूसरेको दे सके, चाहे वह आदमी में होऊं या मुहम्मद अली या शौकत अली हों। उन्होंने अली भाइयोंके

१. कर्नल जेम्स टोंड (१७८२-१८३५); प्रसिद्ध इतिहासकार | अनल्स ऐंड एंटिक्विटीज ऑफ राजस्थानके लेखक ।

२. गांधीजीने १९ से २२ अप्रैल तक सूरत जिलेके मुख्य-मुख्य ताल्लुकों, नगरों और खास-खास गाँवोंका दौरा किया और वहाँ कई सभाओं में भाषण दिये । यह उन्हीं भाषणोंका सारांश है ।