पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/६०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३०
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

बारेमें कहा कि उन्होंने तो अपने लिए स्वराज्य हासिल कर ही लिया है। जरूरत गांधी-राज या मुहम्मद अली-'राज या शौकत अली-राजकी नहीं, स्वराज्यकी है; राम-राज्यकी है, जिसमें दलित-वर्गके अदनासे-अदना आदमीको और देशकी कमजोरसे-कमजोर औरतको समान स्वाधीनता और संरक्षण प्राप्त हो ।

[ अंग्रेजीसे ]

बॉम्बे क्रॉनिकल, २६-४-१९२१

१८. कुछ शंकाएँ

पारसियोंके प्रति मैंने जो पत्र लिखा था, वह बहुत चर्चाका विषय बन गया है। भाई जी० के० नरिमनने खुला पत्र लिखा है जो अन्य समाचारपत्रोंमें प्रकाशित हो चुका है। उम्मीद है कि इस चर्चामें दिलचस्पी लेनेवाले पाठकोंने उसे अवश्य पढ़ा होगा, इसीसे मैं उसे 'नवजीवन' में प्रकाशित नहीं कर रहा हूँ। भाई नरिमनने जो विचार व्यक्त किये हैं उनपर अच्छी तरहसे गौर किया जाना चाहिए और उस पत्रमें जो शंकाएँ उठाई गई हैं वे अन्य पारसी भाई-बहनोंके मनमें भी अवश्य उठती होंगी। इसलिए मैं उनका उत्तर देनेका प्रयत्न करूँगा ।

पारसियोंके असहयोग आन्दोलनमें शामिल न होनेके भाई नरिमनने जो कारण दिये हैं वे निम्नलिखित हैं :

१.अभी कुछ-एक वर्षोंतक हमारा अंग्रेजोंके बिना गुजारा नहीं हो सकता ।

२.असहयोग आन्दोलनमें पारसियोंके शामिल होनेसे पहले मुझे अधिकांश हिन्दुओं-को शामिल करनेका प्रयत्न करना चाहिए ।

३.चरखा स्वराज्य प्राप्त करनेके लिए मृगतृष्णाके समान है।

४.जहाँ पण्डित मदनमोहन मालवीयजी, शास्त्रियर, सर दिनशा वाछा आदि असहयोगका विरोध करते हैं वहाँ सामान्य पारसी क्या कर सकते हैं ?

५.मैं खिलाफतको नहीं समझता अथवा हिन्दू और मुस्लिम धर्मके बीच जो अनिवार्य विरोध-भाव है उसे छिपाना चाहता हूँ ।

६.पंजाब सम्बन्धी मेरे विचार अतिशयोक्तिपूर्ण हैं। उदाहरण के तौरपर लाला हरकिशनलालका मामला लिया जा सकता है ।

१.मौलाना मुहम्मद अली (१८७८-१९३१); वक्ता, पत्रकार और राजनीतिश; साप्ताहिक कामरेडके सम्पादक; शौकत अलीके छोटे भाई; १९२० में इंग्लैंड भेजे गये खिलाफत शिष्टमण्डलके नेता; १९२३ में कांग्रेस अध्यक्ष ।

२. वी० एस० श्रीनिवास शास्त्री ( १८६९-१९४६); विद्वान्, राजनीतिज्ञ और वक्ता; भारत सेवक समाज (सवेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी ) के अध्यक्ष, १९१५-२७; वाइसरायको विधान परिषद् और राज्य परिषद्के सदस्य; दक्षिण आफ्रिकामें भारत सरकारके एजेंट जनरल

३. दिनशा ईदुलजी वाछा (१८४४-१९३६); प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके अध्यक्ष, १९०१ ।