पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/७१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

२२. पत्र: सी० एफ० एण्ड्रयूजको

हैदराबाद (सिन्ध)
 
२५ अप्रैल, [ १९२१ ]
 

प्रिय चार्ली,

तुम्हारा पत्र मिला । तुम्हारे प्रश्नका उत्तर मैंने 'यंग इंडिया' में दिया है। यदि उसमें कोई कसर रह गई होगी तो तुम लिखोगे ही। इस प्रश्नके बारेमें मेरे कुछ अपने निश्चित विचार हैं। हालके अनुभवोंसे मैं अपने इन विचारों पर और भी दृढ़ हो गया हूँ ।

पति और पत्नी के बीच वासनारहित सम्बन्धकी आवश्यकताके बारेमें मैं प्रचार नहीं करता। इसलिए कि वह सम्बन्ध इतना पवित्र है कि उसे उपदेशोंका विषय नहीं बनाया जा सकता। परन्तु मेरे अपने लिए वह एक पवित्र कामना-भर नहीं है। भारतकी आज जो दुरवस्था है, उसमें यदि मुझे शिष्ट और स्वैच्छिक ढंगसे प्रजनन रोकनेका कोई तरीका मिल जाये तो मैं उसे तत्काल अपना लूं। लेकिन मैं जानता हूँ कि ऐसा कोई तरीका सम्भव ही नहीं है। मैं तुमको बताना चाहता हूँ कि उस लेखका काफी प्रभाव पड़ा है। मैं ऐसे कई युवकोंको जानता हूँ जो संयमका पालन कर रहे हैं और इससे उनको और उनकी पत्नियों दोनों ही को लाभ हो रहा है । मुझे आश्चर्य इस बातपर है कि तुम इतनी सीधी-सी चीज क्यों नहीं देख पा रहे हो। परन्तु यह बहसका विषय नहीं है। यह एक मूलभूत सत्य है जिसे तुम यथा-समय स्वयं पा लोगे ।

आशा है तुम्हारा स्वास्थ्य अब पहलेसे अच्छा है।

तुम्हारा,
 
मोहन
 

[ पुनश्च : ]

मैंने तुमको बतलाया है या नहीं कि लालचन्द बेईमान ही नहीं निकला, वह सिद्धान्तहीन और निर्लज्ज भी साबित हुआ है। साफ दिखता है कि उसने गबन किया है। इसपर पर्दा डालनेके लिए उसने और अधिक झूठका सहारा लिया है।

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी प्रति (जी० एन० ९६५) की फोटो-नकलसे ।


१. चार्ल्स फेयर एण्ड्रयूज (१८७१-१९४०); अंग्रेज मिशनरी, लेखक व शिक्षा शास्त्री; जिन्होंने विश्वभारती विश्वविद्यालय के कार्य में बहुत दिलचस्पी ली । कई वर्षौंतक भारतीयोंके साथ काम किया ।