पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/८६

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५६ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय जमा किये गये धनका ब्यौरा मोटे तौरपर कुछ इस प्रकार है : कराची ३०,००० लरकाना १,००० शिकारपुर १५,००० सक्खर १०,००० रोहड़ी १,००० नवाबशाह ५,००० हैदराबाद १५,००० मीरपुर खास १,००० फुटकर १,००० कई असहयोगी छात्र सिन्धमें बड़ा ही अच्छा कार्य कर रहे हैं। मुझे जो घटना सबसे ज्यादा उत्साहवर्द्धक लगी वह यह थी कि शिकारपुरमें आपसमें बड़े जोरका झगड़ा हो गया था जिसके फलस्वरूप अनेक जाने-माने लोगोंको कैद भी हो गई थी, लेकिन साधु वासवाणीकी' कोशिशोंके फलस्वरूप अब वे अपने मतभेदोंको दूर करनेमें कामयाब हो गये हैं। इसका स्वाभाविक परिणाम यह निकला कि गिरफ्तार किये गये सभी व्यक्ति रिहा कर दिये गये हैं। अगर हममें कभी झगड़ा हो ही नहीं तो हम मनुष्यता- से ऊपर उठे हुए कहलायेंगे । लेकिन जब हम उदारता दिखाकर मैत्रीपूर्ण ढंगसे अपने मतभेदोंको दूर कर लें तब हम अपने मनुष्य होनेका परिचय देते हैं । हड़तालका दुरुपयोग कराचीके एक सज्जनने मुझे पत्र लिखकर इस बातपर बड़ा खेद प्रकट किया है कि उस शहरमें बड़ी जल्दी-जल्दी हड़तालें होती हैं । इसी विषयपर मैंने 'इंडियन सोशल रिफॉर्मर' की भी एक कतरन देखी है । मैं 'इंडियन सोशल रिफॉर्मर' की इस आलोचनासे सहमत हूँ कि इधर कुछ दिनोंसे बात-बातपर हड़तालें होने लगी हैं और उनकी गम्भीरता तेजीसे घटती जा रही है । ६ और १३ अप्रैलकी तिथियाँ यदि इतनी पुनीत न होतीं तो मैं तो इन दो अवसरों- पर भी हड़ताल करनेकी सलाह न देता । हड़ताल या तो किसी असाधारण बातके प्रति विरोध प्रकट करनेके लिए की जानी चाहिए या किसी धार्मिक प्रदर्शनके रूपमें । परमश्रेष्ठ गवर्नर महोदयकी कराची-यात्राके अवसरपर हड़तालकी घोषणा करनेका कोई अर्थ नहीं था । यदि वह उनकी जातके खिलाफ विरोध प्रकट करनेके लिए की गई थी तो वह एक बड़ी कुरुचिपूर्ण बात थी; क्योंकि मेरे खयालसे वे एक बहुत ही समझदार अधिकारी हैं, और यदि कुटिलतापूर्ण शासन व्यवस्थाके प्रशासनके अन्तर्गत १. टी० एल० वासवाणी; गीता मेडीटेशन्स, द फेस ऑफ बुद्धा आदि पुस्तकोंके लेखक; पूनामें मीरां शैक्षणिक संस्थाओंके संस्थापक । २. अप्रैल १९१९ में जलियाँवाला बागको घटना के बादसे देश में ६ अप्रैलसे आरम्भ होनेवाला सप्ताह ‘राष्ट्रीय सप्ताह' के रूपमें मनाया जाता था । देखिए खण्ड १९, १४ ४७३-७५ । Gandhi Heritage Portal