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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

ननकाना साहबमें एक ओर जहाँ इन दो भाइयोंने अत्यन्त सज्जनताका काम किया वहाँ मालेगाँवके निवासियोंने उतनी ही हैवानियत दिखाई है। सब-इन्स्पेक्टरने चाहे जितनी गालियाँ क्यों न दी हों, चाहे जितना उत्तेजित क्यों न किया हो तो भी जो लोग कांग्रेसको मानते हैं वे हत्या करनेका घोर कृत्य कर ही नहीं सकते। कांग्रेस के अनुयायियोंकी दृढ़ प्रतिज्ञा है कि भारतको आजाद करवानेके लिए हम किसीको भी नहीं मारेंगे, बल्कि स्वयं मरेंगे। वहाँ नारायणदासने क्या कम गालियाँ दी थीं ? मालेगाँवमें हमारे भाइयोंने मनुष्यताका त्याग किया। इस तरह कोई स्वराज्य नहीं मिलता। मैं एक वकीलके रूपमें नहीं वरन् भारतीयके रूपमें बोल रहा हूँ। ऐसे कृत्योंको बन्द करके जब शान्तिका अपना दावा सिद्ध करेंगे तभी और केवल तभी हम स्वराज्य प्राप्त करेंगे, पंजाबका न्याय प्राप्त करेंगे, खिलाफतका फैसला करायेंगे और आज न्यायके नामपर होनेवाले अत्याचारोंको दूर करेंगे। तब दुनिया देखेगी कि हमारी शान्तिकी ताकतके सामने बड़े-बड़े मन्त्रियोंको अपना कथन रद्द करना पड़ा है, ओ'डायर तथा डायरकी पेन्शन बन्द करनी पड़ी है। तब वह समझेगी कि हमारे जैसी ताकत न तो आयरलैंडमें है, न रूसमें और न मिस्रमें। हमारा और उनका मुकाबिला ही नहीं हो सकता। हमारा आधार छल और गाली नहीं वरन् सचाई है। हम अभी कर देना बन्द क्यों नहीं करते? क्योंकि मालेगाँवके पागलोंके समान दूसरे पागल भी हिन्दुस्तानमें पड़े हुए हैं। जो यह मानते हों कि इस 'शान्ति' से भी उच्च अस्त्र हमारे पास पड़ा हुआ है, उनसे मैं दूर रहनेकी प्रार्थना करता हूँ। कमसे-कम वे इस आन्दोलनकी प्रगतिमें हस्तक्षेप तो न ही करें ।

यह महाराष्ट्रकी सभा है। महाराष्ट्रके सम्बन्धमें मुझे क्या-क्या उम्मीदें हैं, यह मैं पहले ही व्यक्त कर चुका हूँ। उसमें मेरी जो श्रद्धा थी वह अब भी कायम है। जब महाराष्ट्रके लोगोंके दिलोंमें इस आन्दोलनके प्रति पूरा विश्वास बैठ जायेगा तभी, मैं जानता हूँ कि, मेरा काम पूरा होगा। जितना त्याग और ज्ञान महाराष्ट्रमें है उतना मैंने कहीं और नहीं देखा। जहाँ ज्ञान और बलिदानका समागम होता है वहाँ यज्ञ सम्पूर्णहोता है। महाराष्ट्रमें जब यह आन्दोलन सच्चे उत्साह के साथ आरम्भ होगा तब इस देश और इस आन्दोलनको मेरे-जैसे साधारण मनुष्योंकी अपेक्षा नहीं रहेगी। जबतक वह जाग्रत नहीं होता तभीतक मेरे लिए कुछ काम है। बहुतसे लोग कहते हैं कि महाराष्ट्र पीछे है। इस समय यह बात सच है। महाराष्ट्रमें जब थोड़ी अधिक श्रद्धा आ जायेगी तब उसकी शक्ति अपने-आप सिद्ध हो जायेगी । सूर्यके उदय होनेका जिस तरह ढिंढोरा नहीं पीटा जाता उसी तरह महाराष्ट्रकी जागृति भी खुद-ब-खुद सामने आ जायेगी। मेरी ईश्वरसे प्रार्थना है कि वह महाराष्ट्रको शक्ति दे ताकि वह अपना पूर्ण योगदान दे । लोकमान्यकी आप-जितनी पूजा कोई नहीं करता। वे स्वराज्यके लिए ही जीवित थे, स्वराज्यके लिए ही जेल गये और स्वराज्यका ही कार्य करते हुए उन्होंने देहत्याग किया। और अगर आप अपने-आपको उनका सच्चा वारिस सिद्ध कर दिखायेंगे तो हम इसी वर्ष स्वराज्य ले लेंगे अथवा उसे लेते हुए मर जायेंगे। अगर आप उतना कर सकेंगे तो मैं कहूँगा कि तिलक महाराजने आपके बीच ठीक ही जन्म