पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 24.pdf/१११

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
८१
काठियावाड़ क्या करे?


आवश्यक और तुरन्त फल देनेवाले हैं। यदि एक भी मनुष्यको भूखसे पीड़ित होकर काठियावाड़ छोड़ना पड़े तो इसपर राजा और प्रजा दोनोंको शर्म आनी चाहिए। काठियावाड़में क्या नहीं है? यहाँ जमीन अच्छी है; स्त्री पुरुष कुशल और तन्दुरुस्त हैं। काठियावाड़में जितनी चाहिए उतनी कपास है। स्वयं बुनकरोंने ही मुझे बताया है कि अनेक बुनकरोंको धन्धेके अभावमें काठियावाड़ छोड़ना पड़ता है। दो वर्ष पहले उन्हें धन्धा मिलता था; आज तो और भी ज्यादा धन्धा मिलना चाहिए था। इसके बजाय उनका धन्धा कम कैसे हो गया? इस अवनतिके लिए क्या काठियावाड़ी कार्यकर्ता उत्तरदायी नहीं है? यदि कार्यकर्ता भाषण देनेके धन्धेको छोड़कर रुई-सम्बन्धी समस्त क्रियाओंका ज्ञान प्राप्त कर लें तो एक वर्षमें ही वे काठियावाड़ियोंकी स्थिति सुधार सकते हैं। वे काठियावाड़में से विदेशी अथवा मिलके कपड़ेका बहिष्कार करें। मिलोंके कपड़ेसे बहुसंख्यक लोगोंका पैसा बहुत थोड़े लोगोंके हाथोंमें जाता है। जब मस्तिष्कमें बहुत अधिक रक्त भर जानेपर व्यक्ति धनुर्वात रोगसे पिड़ित माना जाता है तब उसका बचना मुश्किल हो जाता है। वह कभी-कभी बचता भी है तो फस्द खोलनेसे। जब बहुसंख्यक लोगोंका पैसा एक ही मनुष्यके पास इकट्ठा हो जाये तब उसे आर्थिक धनुर्वातसे पीड़ित मानना चाहिए। जिस तरह स्वस्थ मनुष्यके शरीरमें रक्त नियमित रूपसे संचरित होता है, वह किसी भी एक स्थानमें इकट्टा नहीं हो जाता और जिस अंगको जितने रक्तकी जरूरत होती है उसमें उतना पहुँच जाता है, उसी तरह स्वस्थ अर्थ-व्यवस्थामें धन नियमित रूपसे संचरित होना और जहाँ जितनी जरूरत हो वहाँ उतना पहुँचना चाहिए। ऐसी आर्थिक स्वस्थता प्राप्त करनेका सबसे बड़ा साधन चरखा है। चरखेका नाश होनेके कारण दुनिया-भरका धन लंकाशायरमें खिंचा चला जा रहा है। यह महारोगका लक्षण है। इस रोगका निवारण चरखेके पुनरुद्धारसे ही हो सकता है।

यदि काठियावाड़के स्वयंसेवक इस सरल परन्तु चमत्कारिक नियमको समझ गये हैं तो वे रुई-सम्बन्धी समस्त क्रियाओंसे अवगत होकर जनतामें उसका प्रचार करें। यह हुआ प्रथम राजनीतिक कार्य।

काठियावाड़में कितने राष्ट्रीय स्कूल हैं? यहाँ अपढ़ बालकों और बालिकाओंकी संख्या कितनी है? क्या यहाँ उनकी आवश्यकताको पूरा करने योग्य स्कूल हैं? यदि न हों तो वैसे स्कूलोंकी स्थापना करके उनकी मारफत अक्षर ज्ञानके साथ-साथ चरखा चलानेकी शिक्षा भी दी जा सकती है। यह हुआ दूसरा राजनीतिक कार्य।

अस्पृश्यताके मैलको धोना तीसरा राजनीतिक कार्य है। इस मैलको धोते-धोते भी चरखेके प्रचारका कार्य आसानीसे किया जा सकता है।

काठियावाड़ में दारू और अफीमके निषेधकी आवश्यकता कितनी अधिक है, यह बात मैं दूर बैठकर नहीं बतला सकता। लेकिन फिर भी बाहरकी छूत न्यूनाधिक लगे बिना नहीं रहती। यह है चौथा राजनीतिक कार्य।

मैं इन कामोंको तो उदाहरणोंके रूपमें गिना गया हूँ। इस तरहकी अनेक प्रवृत्तियोंकी खोज तो स्थानीय स्थितियोंसे भली-भाँति परिचित अनुभवी सज्जन कर हो सकते हैं।

२४-६