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४५. तार: बाकरगंज जिला सम्मेलनको

[२० मई, १९२४]


खेद है बहुत देर हो चुकी है। आपका तार आज ही मिला है।

गांधी

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ८८१६) की फोटो-नकलसे।

४६. पत्र: घनश्यामदास बिड़लाको

वैशाख बदी २ [२० मई, १९२४]


भाई घनश्यामदासजी,

आपके पत्र आ रहे हैं। आप अवश्य लीखते रहें। मैं हमेशा प्रत्युतर न लीख सकूँ तो समझना मुझे इतना भी वखत नहिं है।

उदण्डता और दृढ़ता करीब साथ-साथ रहते है। यदि हम सात्विक भावोंको बढ़ाने की कोशिश करते रहें तो उदण्डता प्रति क्षण गौण स्थान लेती जायगी। उदण्डताको दबानेका सबसे अच्छा तरीका यह है कि हम हमेशा विरोधको उतर न देते रहें।

मी. दास आ गये हैं। उनसे बातें हो रही हैं। अयोग्य आचरणका बिलकुल इनकार करते हैं।

हिन्दु औरतोंपर जो हमला हो रहा है उस बारेमें हमारा हि दोष मैं समझता हुँ। हिन्दु ऐसे नामर्द बन गये हैं कि हमारी बहनोंकी रक्षा भी नहि करते हैं। इस विषयमें मैं खूब लिखूँगा। इसका कोई सादा इलाज मेरे नजदीक नहिं है। कई बात जो आपके सुनने में आई है उसमें अतिशयोक्तिका संभव है। परन्तु अतिशयोक्ति काट देने बाद जो शेष रहता है, हमको लज्जित करनेके लिये काफी है।

१. बाकरगंज जिला सम्मेलनके मन्त्रीका यह तार २० मई, १९२४ को मिला था। तारमें लिखा था: “बाकरगंज जिला सम्मेलन २४ मईको फीरोजपुरमें होने जा रहा है। देशबन्धु और मौलाना आजादके शरीक होनेकी अनुमति प्राप्त हो गई है और इस बातका ऐलान भी सर्वत्र कर दिया गया है। उन दोनोंको तुरन्त भेजनेकी कृपा कीजिए। उनके न आनेपर मुँह दिखाना मुश्किल होगा।"

तारके सिरेपर गांधीजीके ये शब्द भी मिलते हैं:-

“तार कब मिला, इसके बारे में पूछताछ कीजिए।"

२. यहाँ माफीके उल्लेखसे पता चलता है कि यह पत्र १३ मई, १९२४ को लिखे पत्रके बाद लिखा होगा। १९२४ में वैशाख बदी २, २० मईको पड़ी थी।