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पत्र: देवचन्द पारेखको

आपको यं० इं० ओर हि० न० जी० भेजनेको मैंने मैनेजरसे कह दिया है उमीद है अब मील गया होगा।

मेरा एक खत जो मैंने गत सप्ताहमें लीखा आपको मिल गया होगा।

आपका,
मोहनदास गांधी


वे० कु० २

आपके भाई यदि माफी मांग लेवें तो भी यदि आप दृढ़ रह सकें तो माफी न मांगना हि उत्तम है। किसीके मांगनेकी घृणा भी हम न करें। मनुष्य मात्र यथाशक्ति हि नीतिका पालन कर सकता है।

मोहनदास

मूल हिन्दी पत्र (सी० डब्ल्यू० ६००७) से।

सौजन्य: घनश्यामदास बिड़ला

४७. पत्र: देवचन्द पारेखको

वैशाख बदी २ [२० मई, १९२४]


भाईश्री देवचन्दभाई,

आपका पत्र मिला। परिषदमें भाग लेने के लिए जो लोग आयेंगे वे अवश्य ही आपके यहाँ ठहरेंगे। परन्तु अभी तो बहुत वक्त है न?

मोहनदासके वन्देमातरम्

मूल गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० ६००८) से।

सौजन्य : नारणदास गांधी

१. वैशाख कृष्ण २।

२. डाकखानेकी मुहरके अनुसार।

३. सम्भवत: काठियावाड़ राजनीतिक परिषद्, जो जनवरी १९२५ में होनेवाली थी।