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४८. पत्र : मणिबहन पटेल और दुर्गा देसाईको

[२० मई, १९२४]


चि० मणि,

तुम्हारा पत्र तथा पोस्टकार्ड दोनों मिल गये। तुमने पत्रमें ‘त्यागकी मूर्ति’ के विषयमें जो कुछ लिखा है उसे पढ़कर बहुत हर्ष हुआ। इस प्रकारकी निर्मलता और संयमवृत्ति संग्रहणीय गुण है। जब मिलेंगे तब इस विषयमें बात करेंगे। फिलहाल तो तुम जो थोड़ा सा बुखार शेष है, ईश्वरकी कृपासे उससे छुटकारा पाकर स्वस्थ हो जाओ। वसुमती बहन देवलाली जा रही है इसलिए वहाँ नहीं आ सकेगी। तुम्हें [हजीरासे] तुरन्त आनेका विचार कदापि नहीं करना चाहिए।

बापूके आशोर्वाद


चि० दुर्गा,

आखिर तुमने मुझे पत्र नहीं ही लिखा। तुम्हारा स्वास्थ्य वहाँ कैसा रहता है?

बापू

[गुजरातीसे]

बापुना पत्रो-४: मणिबहेन पटेलने

४९. पत्र: एडा वेस्टको

२० मई, १९२४


प्रिय देवी,

मुझे तुम्हारा पत्र अभी-अभी मिला, प्रसन्नता हुई। मुझमें धीरे-धीरे ताकत आ रही है। मैं जिस स्थानपर ठहरा हुआ हूँ वह समुद्र तटपर है। आशा है कि अगले सप्ताह मैं आश्रम चला जाऊँगा। तुम वहाँ कबतक हो? तुम्हारा स्वास्थ्य कैसा है? मैं अधिक नहीं लिखूँगा। तुम्हें सब समाचार रामदाससे मिलेंगे। इस बारेमें मैं उसे लिख रहा हूँ।

१. साधन-सूत्रके अनुसार। २. देखिए खण्ड २३, पृष्ठ ५५६-६०।

३. एडा वेस्ट; गांधीजीके मित्र और सहयोगी ए० एच० वेस्टकी बहन ।