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भेंट: वाइकोम शिष्टमण्डलसे


हम लोगोंको उपवासका प्रयोग करने और बाहरकी सहायता लेनेसे रोककर क्या आप हमें एक ऐसे सुलभ साधनसे वंचित नहीं कर रहे हैं, जिसका प्रयोग मित्र और शत्रु दोनोंपर किया जा सकता है?

उ०: मैं यह नहीं मानता कि खेड़ा या बोरसदमें सरकारने लोकमतके दबावके कारण घुटने टेके थे और फिर सरकारपर बाहरसे तो कोई दबाव डाला ही नहीं गया था। कई लोगोंने मुझे आर्थिक सहायता भेजनेकी बात लिखी थी, पर मैंने (खेड़ाके मामलेमें) किसी भी प्रकारकी बाहरी सहायता नहीं ली। जनता द्वारा हर प्रकारके कष्ट सहनकी तैयारीने यह प्रदर्शित कर दिया कि उसकी भावना गहरी है और इससे सरकारकी आँखें खुली और उसने घुटने टेक दिये। सचाईकी प्रतीतिने ही सरकारको खेड़ाकी जनताकी माँगें मानने पर विवश किया था। इस तरहकी प्रतीति आपके बलिदानकी शुचिता और शक्तिसे ही हो सकती है। बाहरसे मिलनेवाली सहायता बलिदानकी शक्तिको क्षीण कर देती है। उस हालतमें प्रतिपक्षीको आपके अन्दर त्यागकी भावना दिखाई नहीं देती। इसलिए उसके हृदयपर कोई असर नहीं पड़ता और उसकी आँखें नहीं खुलतीं। बाहरी मददके बलपर भोजन और खर्च पानेवाले स्वयं-सेवक प्रतिपक्षीको सत्याग्रही नहीं, पेशेवर सैनिक जैसे मालूम पड़ते हैं; सत्याग्रही तो अपने सिद्धान्तोंके लिए सर्वस्वकी बलि चढ़ानेके लिए तैयार रहता है। इस तरहका संघर्ष तो भौतिक उपकरणोंकी श्रेष्ठता सिद्ध करनेवाली होड़ ही है; आत्मिक शक्ति- का द्योतक नहीं। यह सच्चा सत्याग्रह नहीं है। चिरला-पेरलामें भी लगभग इसी तरहका प्रश्न उठा था। मैंने श्री गोपाल कृष्णय्यासे यही अनुरोध किया था कि वे बिना किसी बाहरी मददके अपना संघर्ष जारी रखें। उनका संघर्ष निर्विघ्न चलता रहा। बाहरी मदद लेकर अहिंसापूर्ण ढंगसे अपने अधिकारोंका आग्रह करना अनाक्रामक प्रतिरोध हो सकता है, वह सत्याग्रह तो नहीं ही है।

अनाक्रामक प्रतिरोध और सत्याग्रहमें जमीन-आसमानका अन्तर है। अनाक्रामक प्रतिरोध करनेवालेके लिए जरूरी नहीं है कि उसके मनमें प्रतिपक्षीके लिए प्रेमभाव हो, पर सत्याग्रहीके लिए तो यह जरूरी है। अनाक्रामक प्रतिरोध एक कमजोर अस्त्र है और कमजोर जनता ही उसका प्रयोग करती है। लेकिन सत्याग्रह एक शहजोर अस्त्र है जिसका प्रयोग कमजोर जनता करती है। केरल के दलित वर्ग अनाक्रामक प्रतिरोधका मार्ग अपना सकते हैं, लेकिन मैं उनको इसकी सलाह नहीं दूँगा और न मैं यह चाहूँगा कि कांग्रेसी लोग उसका समर्थन करें। आदर्श सत्याग्रहका मतलब है ऐसा सत्याग्रह जो एक या अनेक व्यक्ति बाहरी सहायता लिये बिना कष्ट झेलते हुए करते हैं। वाइकोमके मामलेमें वहाँके पंचम वर्णके हिन्दुओं और उनसे सहानुभूति रखनेवाले सवर्णों द्वारा किया गया सत्याग्रह ही आदर्श सत्याग्रह कहलायेगा। यदि यह सम्भव न हो तो वे इस आदर्शसे कुछ उतरकर उनकी परिस्थितिको समझनेवाले और उनसे हमदर्दी रखनेवाले क्षेत्रोंके लोगोंकी सहायता ले सकते हैं।

१.देखिए, खण्ड २१, पृष्ठ १६-१८