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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
आप हिन्दुओंकी कोई ऐसी संस्था दिखा सकेंगे जो इस कद्र बरबाद हुई हो? मैं ऐसे बोसियों लड़कोंको जानता हूँ जो विश्वविद्यालयकी उपाधि प्राप्त करके अपना और अपनी कौमका गौरव बढ़ा सकते थे; लेकिन उन्हें धर्मके नामपर अपनी पढ़ाई-लिखाई छोड़नेको प्रेरित किया गया। नतीजा यह हुआ कि वे बिलकुल बरबाद हो गये। इसके विपरीत, हिन्दू लड़कोंमें से बहुत कमने स्कूल-कालेज छोड़े और उन्होंने भी जब यह देखा कि आन्दोलन छिन्न-भिन्न हो रहा है तब वे फौरन वापस जाकर भरती हो गये। वकीलोंका भी यही हाल हुआ। उन दिनों आपने दोनों कौमोंमें एक तरहकी एकता कायम कर दी, और सारी दुनिया में शोहरत मचा दी कि यह एकता बहुत ठोस और पक्की है। बेचारे भोलेभाले मुसलमानोंने इस सबको भी सच मान लिया, फल यह हुआ कि अजमेर, लखनऊ, मेरठ, आगरा, सहारनपुर, लाहौर तथा दूसरी जगहोंमें उनके साथ बड़ा नुशंस व्यवहार किया गया। श्री मुहम्मद अली जैसे निहायत आला दरजेके पैदायशी अखबारनवीसको, जिनका गैर मामूली ‘कामरेड’ अखबार मुसलमान कौमको इतनी अच्छी खिदमत कर रहा था, आपने अपने पक्षमें कर लिया और अब तो वे गोया हमारी कौमके ही नहीं रहे। आपके हिन्दू अगुआ लोग शुद्धि और संगठन के बहाने मुसलमान कौमको कमजोर बनानेकी कोशिश कर रहे हैं। फिर आपकी इस अदूरदर्शितासे कि कौंसिलों में नहीं जाना चाहिए, मुसलमान कौमको बहुत नुकसान हुआ है; क्योंकि तथाकथित फतवेके कारण कौमके काबिल लोगोंमें से ज्यादातर कौंसिलोंमें नहीं गये। इन तमाम बातोंपर गौर करते हुए क्या आप सच्चे दिलसे यह नहीं महसूस करते कि आप मुसलमानोंको――बेशक चन्द मुसलमानोंको ही――अपने दलमें रखकर मुसलमान कौमका गहरा नुकसान कर रहे हैं?

मैंने यह पत्र पूरा नहीं दिया है लेकिन इस उद्धृत अंशमें मुझपर मुसलमानों द्वारा लगाये गये आरोपका सार आ जाता है।

मैं बेकसूर हूँ

इन दोनों आरोपोंके बारेमें मुझे कहना होगा कि मैं बेकसूर हूँ; इतना ही नहीं मुझे अपने कियेपर तनिक भी पश्चात्ताप नहीं है। अगर मैं भविष्यदृष्टा होता और जो-कुछ हुआ है, वह सब पहले ही जान लेता तो भी मैं खिलाफत आन्दोलनमें अवश्य कूदता। यद्यपि दोनों कौमोंके सम्बन्ध आज तनावपूर्ण हैं, फिर भी दोनोंको लाभ तो हुआ ही है। जन-जागरण हमारे प्रशिक्षणका एक आवश्यक अंग था। यह चीज अपने-आपमें एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। मैं ऐसी कोई बात न करूँगा जिससे जनतामें जागरणके बजाय फिरसे तन्द्रा आ जाये। अब हमारी बुद्धिमानी इस बातमें है कि हम इस जन-जागरणको उचित दिशा दें। हम आज जो कुछ देख रहे हैं वह दुःखद तो अवश्य है, लेकिन हमें अगर स्वयं अपनेपर भरोसा हो तो इसमें हिम्मत हारनेकी कोई बात