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७९. पत्र: मणिबहन पटेलको

[२९ मई, १९२४ के पश्चात्][१]


चि० मणि,

वाह! कल तुम सब आये और चले गये।[२] अब सन्देश भेजती हो। रोगी जितनी बार चाहे अपने वादेसे मुकर सकता है। उसे कोई भी वादा नहीं बाँधता। इसलिए अगर अब न आओ तो वह माफ रहेगा। फिर भी जब आना चाहो तब आ भी सकती हो। मैं तो एक ही बात जानता हूँ कि तुम किसी न किसी तरह चंगी हो जाओ।

बापूके आशीर्वाद


चि० मणिबहन पटेल
खमासा चौकी
अहमदाबाद

[गुजरातीसे]
बापूना पत्रो-४: मणिबहेन पटेलने

८०. पत्र: अब्बास तैयबजीको

आश्रम
शुक्रवार [३० मई, १९२४][३]


बूढ़े जवान भाई साहब,

आप तो कमाल कर रहे हैं। मुझे आपके पत्र मिलते हैं। जब-जब आपके

परिवारके लोग मुझसे मिलने आते हैं तब-तब मेरी आँखोंमें खुशीसे आँसू आ जाते है। मैं आपसे जिन कामोंकी आशा करता हूँ वे तो आप पूरे करते ही हैं; जब आशा नहीं करता तब भी आप कोई ऐसा काम उठा लेते हैं जो आप मानते है कि

 
  1. साधन-सूत्रके अनुसार यह पत्र साबरमतीसे भेजा गया था, जहाँ गांधीजी २९ मई, १९२४ को पहुँचे थे।
  2. मणिबहन पटेल आश्रममें आई थी और गांधीजीसे मिले बिना ही चली गई थी, क्योंकि वे उस समय सोये हुए थे।
  3. अब्बास तैयबजोपर “जवान बूढा” शीर्षकसे टिप्पणी १-६-१९२४ के नवजीवनमें छपी थी। उससे पहलेका शुक्रवार ३०-५-१९२४ को पड़ता है।