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९४. टिप्पणियाँ

तारकेश्वरमें सत्याग्रह

तारकेश्वरकी स्थितिके सम्बन्धमें मेरे पास कितने ही तार आये हैं। दो तारोंमें मुझे वहाँ सलाह देने के लिए बुलाया गया है। अभी मेरे वहाँ जानेका सवाल नहीं उठता; कारण और कुछ नहीं तो यह तो है ही कि शरीर लम्बी यात्राके श्रमको बरदाश्त करने लायक नहीं है। लेकिन बाइकोमके बारेमें मैंने जो-कुछ लिखा है, वही आम तौरसे तारकेश्वरपर भी घटता है। मन्दिरपर कब्जा करने के लिए किसी तरहसे भी शरीर-बलका प्रयोग या प्रदर्शन नहीं किया जाना चाहिए। रेलवे मजदूरोंका दल बनाकर घुस जाने और रेलकी पटरीपर बैठकर ट्रेनको जाने से रोकने वगैरहका जो समाचार आया है, वह अगर सच हो तो, यह सत्याग्रह नहीं है――बल्कि यदि कमसे-कम कहा जाये तो भी यह एक निन्दनीय काम अवश्य था। दुराचारी माने जानेवाले महन्तके कब्जेसे भी हम किसी सम्पत्तिको इस तरह एक बारगी और जबरदस्ती नहीं छीन सकते।

अपने हाथों अपनी कब्र

कांग्रेस-संगठनपर मैंने जो लेख ‘यंग इंडिया’ में लिखा है,[१] उसके बारेमें कहा गया है कि मैं अपने हाथों अपनी कब्र खोद रहा हूँ। यह कथन मुझे पसन्द आया। कारण सत्यकी कब्र खोदनेकी बनिस्बत खुद अपनी कब्र खोदनेसे बढ़कर खुशी मुझे और किसी बातसे नहीं होगी; मैं तो केवल सत्यके ही लिए जिन्दा रहना चाहता हूँ। मेरे एक बड़े सम्माननीय अंग्रेज मित्र हैं, जिन्होंने मुझे दक्षिण आफ्रिकामें बहुत सहायता दी थी। उन्होंने एक बार मुझसे कहा था कि “आप जानते हैं, मैं क्यों आपके आन्दोलनमें दिलोजानसे सहायता कर रहा हूँ? इसलिए कि आप अल्पमतमें हैं। मैं मानता हूँ कि सत्य हमेशा अल्पमतकी ही ओर होता है। इसलिए अगर मैंने आपको बहुमतमें देखा और हमारी मित्रताके रहते हुए भी, मैंने आपका विरोध किया तो आप ताज्जुब न करें।” मैं अक्सर ऐसा सोचता रहा हूँ और आज तो और भी ज्यादा सोचता हूँ कि क्या उन मित्रकी बात सही नहीं थी; और क्या आज वे इस नतीजेपर तो न पहुँचे होते कि चूँकि इस समय मैं बहुमतवाला माना जाता हूँ, इसलिए इस वक्त मेरा ही पक्ष गलतीपर होगा। पर उन मित्रकी बात सही हो या गलत; में आशा करता हूँ कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी मुझे अल्पमतमें रखते हुए जरा भी नहीं हिचकिचायेगी और मैं यह आशा भी करता हूँ कि मैं अपने विश्वासके प्रति झूठा साबित न होऊँगा। मैं उन्हें यकीन दिलाना चाहता हूँ कि मैं अपनी शिकस्त होनेपर भी उसी उत्साहके साथ काम करूँगा। शायद जैसा मैं उन दिनों करता:

  1. देखिए “कांग्रेस संगठन”, २९-५-१९२४।