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टिप्पणियाँ

स्वरूप गिनना चाहिए। इसलिए तो श्री प्रकाशमको[१] इस बातके लिए बधाइयाँ ही दूँगा कि मद्रास सरकारकी काली-सूचीमें उनके अखबारका नाम सर्वप्रथम है। उन्हें यह पुरस्कार देने के लिए उस सरकारके भारतीय सदस्य जिम्मेदार हैं, इससे मुझे कोई आश्चर्य नहीं होता। वे और कुछ कर ही नहीं सकते या तो उन्हें सरकारको कायम रखने के लिए यह सब करना होगा, या फिर पद-त्याग करना होगा। उनका विश्वास ऐसा ही है कि यह सरकार देशके कल्याण के लिए कायम है। अहिंसात्मक असहयोगका उद्देश्य इस भ्रमका पर्दा हटानेकी प्रक्रिया शीघ्रतासे सम्पन्न करना है। यह प्रक्रिया बहुत धीमी गतिसे चल रही है। कारण यह कि हम असह्योगमें बहुत थोड़ा ही विश्वास रखते हैं और अहिंसामें तो और भी कम ।

ऐशो-आराम देगी, लेकिन शक्ति नहीं

शान्तिनिकेतनसे बड़ो दा[२] लिखते हैं :[३]

. . . आप चाहते हैं कि हम जीवनके लिए आवश्यक वस्तुओंका उत्पादन अपने ही हाथोंसे करें और इस तरह शक्ति सम्पादन करें।

. . . यह अपेक्षा रखना मूर्खता ही है कि सरकार हमें सचमुच कोई ऐसी शक्ति हासिल करने देगी जो उसकी मनचाही करनेकी शक्तिको निष्फल बना सके।

क्या यह सोलहों आने सच नहीं है कि नगरों में रहनेवाले लोग गरीबोंको पूरा पैसा न देकर अपने ऐशो-आरामकी चीजें प्राप्त करते हैं और उधर सारी शक्ति एक ऐसी सरकारके हाथोंमें है, जो इस जनताके प्रति तनिक भी जिम्मेदारी महसूस नहीं करती और उसके दुःख-दर्द और जरूरतोंका कोई खयाल नहीं करती ?

पीड़ितोंका त्राता चरखा

बाबू भूपेन्द्र नारायण सेन द्वारा भेजा गया निम्नलिखित पत्र[४] पाठकोंको अवश्य ही रोचक लगेगा:

इस पत्रसे प्रकट होता है कि छोटे पैमानेपर किया हुआ संगठन क्या-कुछ कर सकता है और ठीक ढंगके चरखे दिये जानेपर लोग उन्हें कितनी आसानीसे अपना लेते है। आज जिन्हें पेटकी खातिर भीख मांगनी पड़ रही है, चरखा उन सबको आत्म-सम्मानी दस्तकार बना देगा। वह शिक्षित-अशिक्षित, गरीब-अमीर सबको एकताके सूत्र में इतनी अच्छी तरह बाँध देगा जितना और किसी तरीकेसे सम्भव नहीं है।

  1. १. टी० प्रकाशम, आन्ध्रके कांग्रेसी नेता; संयुक्त मद्रास राज्यके प्रथम मुख्यमन्त्री।
  2. २. द्विजेन्द्रनाथ ठाकुर, दार्शनिक, रवीन्द्रनाथ ठाकुरके भाई ।
  3. ३. यहाँ अंशत: दिया जा रहा है।
  4. ४. पत्र यहाँ नहीं दिया जा रहा है। पत्र-लेखकने जून, १९२२ को बाढ़ पीड़ितोंके बीच दुआडोंडा गाँव जिला हुगली में श्री प्रफुल्लचन्द्र सेनने चरखेकी सहायतासे जो सराहनीय काम किया था, उसका विस्तृत विवरण दिया था।