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१. जेलके अनुभव―४

‘राजनीतिक' कैदी

“हम राजनीतिक तथा अन्य कैदियोंमें कोई भेद नहीं करते। आपके लिए ऐसा कोई भेद किया जाये, यह तो निस्सन्देह आप भी नहीं चाहेंगे?" गत वर्ष के अन्तमें सर जॉर्ज लॉयड यरवदा जेल आये थे; ये वाक्य उन्होंने तभी कहे थे। मेरे मुंहसे असावधानीसे यह “राजनीतिक" विशेषण निकल गया, उसीके उत्तरमें वे इस प्रकार बोले थे। मुझे अधिक सावधानीसे काम लेना चाहिए था, क्योंकि मैं जानता था कि गवर्नर महोदयको इस शब्दसे चिढ़ है। फिर भी, अजीब बात है कि हममें से अधिकांश कैदियोंके दैनिक व्यवहारके टिकटोंपर “राजनीतिक” शब्द अंकित था। जब मैंने इस असंगतिकी चर्चा की तो उस समयके जेल सुपरिटेंडेंटने बताया कि यह तो एक खानगी चीज है और केवल अधिकारियोंकी सुविधाके लिए है। आप कैदियोंको इस भेदपर विचार करनेकी जरूरत नहीं; क्योंकि इसके आधारपर कोई हक नहीं मांगा जा सकता।

सर जॉर्ज लॉयडकी कहीं हुई बातको मैंने अपनी स्मृतिके अनुसार तो शब्दश: ही दिया है। सर जॉर्ज लॉयडने जो-कुछ कहा था उसमें एक दंश था, और वह भी कितना अहेतुक। वे जानते थे कि मैं किसी मेहरबानी या विशिष्ट व्यवहारकी याचना नहीं कर रहा था। प्रसंगवश इस विषयमें साधारण-सी चर्चा निकल आई थी। लेकिन वे मुझे यह जताना चाहते थे कि कानून और प्रशासनकी दृष्टिमें तुम्हारी स्थिति औरोंकी स्थितिसे किसी भी तरह बढ़कर नहीं है। और अकारण ही, सिद्धान्तके नामपर इस भेदका प्रतिवाद किया जाना और दूसरी ओर व्यवहारमें इस भेदको अमली जामा पहनाना एक शोचनीय असंगति तो थी ही और तिसपर अधिकांश अवसरोंपर इस भेदका प्रयोग राजनीतिक कैदियोंके विरुद्ध ही किया जाता था।

सच तो यह है कि भेदसे बचना असम्भव है। यदि इस तथ्यकी उपेक्षा न की जाये कि कैदी भी मनुष्य ही है, तो उसके रहन-सहनको समझना और तदनुसार जेलोंमें उसकी व्यवस्था करना जरूरी होगा। यहाँ सवाल गरीब और अमीर अथवा शिक्षित और अशिक्षितमें भेद करनेका नहीं है। कुल सवाल उनके रहन-सहनके उन तौर-तरीकोंमें भेद करनेका है, जिनके कि वे अपनी पूर्व परिस्थितियोंके कारण आदी हो गये हैं। इस वस्तु- स्थितिको अनिवार्य रूपसे मान लेनेकी बजाय ऐसा कहा जाता है कि अपराध करनेवाले लोगोंको यह समझ लेना चाहिए कि कानून किसीका लिहाज नहीं करता और चाहे कोई अमीर आदमी चोरी करे अथवा कोई ग्रेजुएट या मजदूर, कानूनकी दृष्टिमें सब समान हैं। यह तो एक निर्दोष और अच्छे कानूनका

१. इस लेखमालाके पहले तीन लेखोंके लिए देखिए खण्ड २३।

२. बम्बईके गवर्नरः कैदियोंमें भेदके सम्बन्धमें गांधीजी के पत्रके लिए देखिए खण्ड २३, पृष्ठ १८६-८७। २४-१