पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 24.pdf/३९

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३. पत्र-लेखकोंसे

मेरे नाम पत्र भेजनेवालोंकी संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। इनमें सम्पादकके नाम पत्र लिखनेवाले और वे लोग भी शामिल है जो सार्वजनिक महत्त्वके विषयोंके बारेमें मेरी सलाह माँगते हैं। मैं इन्हें आश्वस्त करना चाहता हूँ कि मुझसे जहाँतक बन पाता है, मैं सभी पत्रोंको पढ़ता हूँ और यथासामर्थ्य इन स्तम्भोंमें उनके उत्तर भी देता हूँ। साथ ही मैं यह मानता हूँ कि मैं अपने पत्र-लेखकों द्वारा चर्चित सभी महत्त्वपूर्ण विषयोंके बारेमें पूरे विस्तारसे लिखने में असमर्थ हूँ। मेरे लिए यह भी सम्भव नहीं है कि मैं सभी पत्रोंका अलग-अलग उत्तर दूँ।। पत्र-लेखक ‘यंग इंडिया' को ही उनके नाम भेजा गया मेरा व्यक्तिगत पत्र समझनेकी कृपा करें। यदि लोग चाहते हैं कि उनके पत्रोंपर ध्यान दिया जाये तो उनके पत्र संक्षिप्त, साफ लिखे हुए और निर्वैयक्तिक होने चाहिए।[१]

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, ८-५-१९२४

४. आत्म-निरीक्षणका आमन्त्रण

एक सम्माननीय पत्र-लेखकका पत्र नीचे देते हुए मुझे प्रसन्नताके साथ पीडाका भी अनुभव हो रहा है:

‘यंग इंडिया' के हालके लेखने मेरी अधिकांश शंकाओंको दूर कर दिया है, किन्तु अभी कुछ ऐसे प्रश्न हैं जिन्हें, मैं चाहता हूँ, थोड़ा और साफ कर दिया जाये तथा फिर इन्हें शीघ्र ही ‘यंग इंडिया' में प्रकाशित कर दिया जाये। कौंसिलोंमें प्रवेश-सम्बन्धी आपके विचार अब मेरे सम्मुख बिलकुल स्पष्ट हो गये हैं और अब वे मुझे परेशान नहीं करते। किन्तु मैं चाहता हूँ कि आप नगरपालिकाओं और जिला बोडोंमें बहुमत प्राप्त करने के सम्बन्धमें अपने विचार व्यक्त करें। मैने १९२१ में इन मुद्दोंपर आपका मत जाननेकी इच्छासे आपको एक तार[२] भेजा था। तब मुझे आपने उत्तर दिया था:
“नगरपालिकाओंपर अधिकार कर सकते हो, जिला बोडोंके बारेमें सन्देह है।” १९२३ के अन्तमें सभी नगरपालिकाओंमें नये चुनाव हुए हैं और असहयोगियोंने उनमें से अधिकांशपर अधिकार कर लिया है। हमने जिला
 
  1. यह सूचना यंग इंडियाके वादके अंकोंमें बार-बार दी जाती रही थी।
  2. यह तार उपलब्ध नहीं है।