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आत्म-निरीक्षणका आमन्त्रण

समझमें नहीं आती। यह तो मैं मानता हूँ कि रचनात्मक कार्य नितान्त आवश्यक है, किन्तु प्रश्न यह है कि उसे शीघ्रतापूर्वक सम्पन्न कैसे किया जाये।

हमारे सभी कार्यकर्ताओंने अपनी निष्ठा खो दी है और वे जनताकी सहानुभूति तथा अपने और अपने कुटुम्बोंके भरण-पोषणके साधनोंके अभावमें बिलकुल हिम्मत हार बैठे हैं। एक प्रकारसे प्रायः सभीने कांग्रेस-संगठनोंको छोड़ दिया है, क्योंकि उनकी जीविकाका प्रबन्ध नहीं किया जा सकता। जब-तक हमारे कार्यकर्ताओंको उनके जीवन-निर्वाहके लायक भत्ता नहीं दिया जाता, और जबतक उनमें नवजीवन तथा नये विश्वासका संचार नहीं किया जाता तब-तक कोई काम सम्भव नहीं है। अबतक आपको सब-कुछ मालूम हो गया होगा, इसलिए और अधिक कहनेकी आवश्यकता नहीं है। हमारे कांग्रेस संगठनोंमें लोगोंको बिलकुल विश्वास नहीं रहा है और हमें कुछ देने अथवा हमारा समर्थन करनेकी उनकी बिलकुल इच्छा नहीं है। यह सच है कि हमने मनसा, वाचा और कर्मणा अहिंसाके उच्च आदर्शके अनुसार आचरण नहीं किया है। हमने इस प्रकारसे आपसमें ही असहयोग किया है और एक असहयोगीने दूसरे असहयोगीको अपना प्रतिद्वन्द्वी मान लिया है। पारस्परिक डाह, प्रतिस्पर्धा, भाई-चारे और सचाईका अभाव―― इन सबने समस्त कांग्रेस-संगठनके नामको बट्टा लगा दिया है और इसलिए जनता हमारी बात अनसुनी कर देती है। आपसमें लड़नेवाले कार्यकर्ताओंकी एक बड़ी फौजके बदले हमें मुट्ठी-भर सच्चे, ईमानदार और अहिंसक कार्यकर्ताओंकी आवश्यकता है। हम सचमुचमें कुछ सफलता प्राप्त कर सकें, इससे पहले आवश्यकता है अपने हृदयोंको पूर्णतः शुद्ध करनेकी और समूचे कांग्रेस-संगठनको नये सिरेसे गढ़नेकी। हम लोग नाम, यश और नेतागिरीके मिथ्या मोहमें पड़ गये हैं। इसने हमारे दलमें अनुशासन-हीनता फैला दी है और ईर्ष्या तथा प्रतिस्पर्धाकी भावनाओंको उभार दिया है।

हमें पहले अपनी शुद्धि करनी चाहिए―― यही पहली जरूरी बात है। दूसरी जरूरी बात यह है कि हमारे कार्यकर्ता अपने और अपने कुटुम्बोंके भरण-पोषणके लिए कुछ कमाई करनेकी चिन्तासे मुक्त हों। सम्पन्न लोग न तो हमें आर्थिक सहायता देते हैं और न ही स्वयं राष्ट्रीय सेवाके काममें पड़ते हैं। अतः पूरा भार गरीबोंपर पड़ता है।

पुनश्च:
 

१. हमें अपने कार्यकर्ताओंको आर्थिक सहायता देनेका प्रबन्ध तुरन्त करना चाहिए अन्यथा वे मुट्ठीभर लोग भी, जो अभी हमारे साथ है और काम कर रहे हैं, काम करना छोड़ देंगे।

२. यदि आप तय करें कि हम लोग जिला बोर्डों और नगरपालिकाओंमें जमे रहें, तो आप हमें इन संस्थाओंमें काम करनेके लिए एक स्पष्ट कार्यक्रम