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३८ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

है। कीकीबेन हिम्मती लड़की तो है, परन्तु बेचारी बहुत रुग्ण रहती है। ज्वर उसका पीछा नहीं छोड़ता। वह भोजन नियमसे करती है। ऐसा माना जा सकता है कि यहाँकी वायु बहुत शुद्ध है। डाक्टर दलाल और डा० जीवराजने उसके रोगकी पूरी-पूरी जाँच कर ली है। परन्तु सूझ नहीं पड़ता कि क्या करना चाहिए।

मुझे ऐसा लग रहा है कि कान्ति, रसिक और मनुको यहाँ न बुलाना चाहिए। अगर इससे बा को दुःख होता है तो हो। यह अनुभवसिद्ध बात है कि “भक्ति तो जानकी बाजी है, सामनेका मार्ग निस्सन्देह दुर्गम है।" मैं तो सदासे यही मानता आया हूँ कि हृदयको कठोर किये बिना शुद्ध भक्ति सम्भव नहीं है।

बापूके आशीर्वाद

मूल गुजराती पत्र (एस० एन० ८७८५) से।

१८. सन्देश: गुजरात राजनीतिक परिषद्को

१३ मई, १९२४

बोरसदने गुजरातका मुख उज्ज्वल किया है। उसने सत्याग्रह करके और त्याग दिखा कर देशकी तथा स्वयं अपनी सेवा की है। बोरसदने जमीन तो हमवार कर दी है; अब उसपर इमारत उठानेका काम करना बाकी है और यह कार्य कठिन है। यह काम चल रहा है, यह मैं जानता हूँ किन्तु इसे पूरा हुआ तो उसी दिन समझना चाहिए जिस दिन, बोरसद ताल्लुका हाथ-कती, हाथ-बुनी खादीके अतिरिक्त अन्य सभी प्रकारका कपड़ा खरीदना बन्द कर देगा; जब उसकी सीमामें विलायती कपड़ेकी या मिलोंके बने कपड़ेकी एक भी दुकान न रहेगी; जब ताल्लुकेमें कोई भी मनुष्य शराब, गांजा और अफीमका इस्तेमाल नहीं करेगा, कोई चोरी या दुराचार न करेगा और जब ताल्लुकेके बच्चे――बालक और बालिकाएँ, चाहे वे अन्त्यजोंके हों अथवा अन्य वर्गोंके――राष्ट्रीय पाठशालाओंमें पढ़ने लगेंगे; जिस दिन लोगोंमें आपसमें झगड़े होने बन्द हो जायेगे और यदि होंगे भी तो उनका फैसला पंचायत द्वारा कराया जायेगा; जब हिन्दू और मुसलमान दोनों भाइयोंकी तरह मेलजोलसे रहने लगेंगे और जिस दिन कोई भी मनुष्य किसी भी अन्त्यजका तिरस्कार न करेगा। यदि हम इस नीतिपर कमर कस लें तो हमें यह सब करने में कोई कठिनाई नहीं होगी। यदि बोरसद इतना कर लेगा तो मेरा दृढ़ विश्वास है कि वह भारतको स्वराज्य दिला देगा। वहाँके निवासी इतना करने की प्रतिज्ञा लें। मेरी ईश्वरसे प्रार्थना है कि उनमें ऐसी प्रतिज्ञा करने की शक्ति आये। किन्तु जब प्रतिज्ञाको पूरा करके दिखानेका

१.जे०बी० कृपलानीकी बहन।

२,३ व ४. हरिलाल गांधीकी सन्तान।

५. यह बोरसदमें हुई थी।