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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
एक गलत सीख मिलती है, जो पहले से ही समयकी पाबन्दी न रखनेकी आदी है। इसके अलावा, इससे वक्ताके प्रति श्रोताओंके मनोंमें खीझका भाव आ जाता है और फिर वे उसकी बात ध्यानसे नहीं सुनते। यह परिस्थिति अन्यथा सम्भव न होती। जो लोग हमें स्वराज्यके योग्य नहीं मानते, उनके मनपर भी इसको बुरी छाप पड़ती है। बम्बई में होनेवाली सभाओंमें मुझे बार-बार यही अनुभव हुआ है। ऊपर मैंने वही कहा है जो मैंने खुद महसूस किया है और दूसरोंको कहते सुना है।
सार्वजनिक सभाओंके आयोजक कृपया इस पत्रपर ध्यान दें।

कताई और बुनाईसे गुजारा

आचार्य रायने अपनी चटगाँव-यात्राका विवरण भेजते हुए लिखा है:
मैंने हालमें ही चटगांवका दौरा किया है, जिसका विवरण साथमें भेज रहा हूँ। आपको यह जानकर खुशी होगी कि चटगाँवका भीतरी इलाका हमारे कामकी दृष्टिसे बहुत उपयुक्त है और वहाँ कमी सिर्फ एक बात की है और वह है संगठन की।
दौरेमें एक सज्जनसे मेरी मुलाकात हुई, जिनके बारेमें बताया गया कि वे इंजीनियर हैं। वे कृषक बन गये हैं और अब अपने खेतोंकी जुताई-बुवाई और कटाई स्वयं करते हैं। उनके घरकी तमाम जरूरतें उनके परिवारके लोग शारीरिक श्रम करके ही पूरी करते हैं और वे अपनी जरूरतके सारे कपड़े स्वयं ही कात-बुनकर तैयार कर लेते हैं।
इस पत्रका उत्तर देनेकी जरूरत नहीं, क्योंकि मैं जानता हूँ, आप और भी बहुत महत्वपूर्ण पत्र-व्यवहारमें व्यस्त रहते हैं। मैं तो चटगाँवके बारेमें आपको कुछ ऐसी जानकारी-भर दे देना चाहता हूँ, जो आपको अच्छी लग सकती है। आपको हजारों परेशानियाँ रहती हैं। सम्भव है एक छोटी-सी खुशखबरी आपको जल्दी ही चंगा बनाने में दवाका काम कर जाये।

उक्त इंजीनियरके परिवारके लोग जो करते बताये गये हैं, वह सब हर कांग्रेस कार्यकर्ता, चाहे वह वकील हो या शिक्षक अथवा और कोई, कर सकता है। अगर वह इतना करे तो फिर उसे कांग्रेसके दूसरे कामोंकी फिक्र करनेकी जरूरत ही न रहे। मेरा निश्चित मत है कि वह इंजीनियर ऐसे हर वक्तासे अधिक सफलतापूर्वक खद्दरका प्रचार कर रहा है, जो खद्दरमें कोई जीवन्त आस्था न रखते हुए भी लोगोंके सामने गला फाड़-फाड़कर उसके गुणोंका बखान करता है।

डा० राय द्वारा भेजा हुआ विवरण भी जानने योग्य बातोंसे भरा हुआ है। उससे प्रकट होता है कि सैकड़ों मुसलमान स्त्रियाँ पीढ़ियोंसे कताईका काम करती आ रही हैं। वे कपास भी खुद ही ओटती और धुनती हैं, तथा अपने सूतका कपड़ा भी खुद ही बुनती हैं। जरूरतका सारा कपास पासके पहाड़ी इलाकोंसे मिल जाता है।