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रवि-किरण-मण्डित शिखरोंपर खड़े होकर ईश्वरको साक्षी रखकर की थी―― अर्थात् यह संकल्प किया था कि वे दक्षिण आफ्रिकाको उच्चादर्शों और उदात्त परम्पराओंका देश बना देंगे, भावी पीढ़ियोंके लिए उनकी यही एक श्रेष्ठ विरासत होगी। लेकिन, आज वस्तुस्थिति कुछ और ही है। इन्हीं पर्वतोंको छायामें, इस समुद्रके ऐन तटपर ही दक्षिण आफ्रिकाके भाग्य-विधातागण अपने दायित्वों और कर्तव्योंसे मुँह मोड़ रहे हैं और विधान सभाको, जिसे न्याय और स्वतन्त्रताका मन्दिर होना चाहिए था, एक ऐसे बाजारका रूप दे रहे हैं जिसमें थोड़े दिनोंके लिए पूर्वग्रहपर आधारित शक्ति और अत्याचारपर आधारित सत्ताका उपयोग करने के लिए भावी सन्ततियोंके जन्म-सिद्ध अधिकारोंको बेचा जा रहा है। फिर भी, मेरा मन निराश नहीं है और अन्तिम प्रश्नोंके समाधानके बारेमें मेरा विश्वास अडिग है और मैंने इस विश्वास या कल्पनाको निर्भीक होकर घोषित भी किया है। दक्षिण आफ्रिकाको सिर्फ गोरोंका देश बनानेके असम्भव विचारके समर्थक नेता इससे बड़े क्षुब्ध हुए हैं, उनमें खलबली मच गई है। लेकिन इससे दक्षिण आफ्रिकाके अश्वेत लोगोंमें एक नई जागृतिकी लहर आई है और उनमें एक नई आशाका संचार हुआ है।

मुझे मालूम है कि संक्षिप्त अखबारी तारोंके माध्यमसे आप मेरे यहाँके कामकी प्रगतिसे परिचित रहे हैं। अवसर और अपनी क्षमताको देखते हुए मैंने जितना हो सकता है उतना प्रयास किया है और यद्यपि यहाँके अखबार पूर्वग्रहोंसे ग्रसित हैं और विधायकगण अज्ञानसे, फिर भी मैने सैकड़ों नहीं, हजारों लोगोंको भारतके पक्षका समर्थक बना लिया है। इनमें दक्षिण आफ्रिकाके सभी वर्गों और सभी समुदायोंके लोग शामिल हैं। आफ्रिकी जातियों, बल्कि घोर “उपनिवेशवादी" लोगोंमें भी उत्साह भर आया है और परिस्थितिके प्रति रोष उत्पन्न हुआ है तथा उनके मन में भारतीयोंके प्रति भाईचारेको भावना उदित हुई है और वे अनुभव करने लगे हैं कि उनका सुख-दुख हमारा सुख-दुख है। दक्षिण आफ्रिकाके लिए मैने “उत्पीड़नका विश्वविद्यालय" शब्दोंका प्रयोग किया था, उसका गोरोंने बहुत बुरा माना। फिर भी सचाई यही है कि यह “उत्पीड़नका विश्वविद्यालय" गैर-यूरोपीय लोगोंमें आत्मसंयमका भाव भरते हुए उनके मनोबलका पूर्ण विकास करेगा।

साम्राज्यके लौह पुरुषसे मेरी मुलाकात बहुत दिलचस्प रही। वे जिस जादू और आकर्षणके लिए प्रसिद्ध है मैंने उसे उनमें भरपूर पाया और जाहिरमें सादगी और मिठास भी उनमें देखने में आई। लेकिन उनकी विनय और सादगीके पीछे कितनी कुशाग्नता और कूटनीति छिपी हुई है ! उनको देखकर मेरे मनपर तो यह छाप पड़ी कि ईश्वरने उन्हें दुनियाका एक महानतम व्यक्ति होनेके

१. जनरल स्मट्स।

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