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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
लिए सिरजा था, लेकिन दक्षिण आफ्रिकामें सत्ताका परिधान धारण करके उन्होंने अपनेको बौना बना लिया है। जो लोग अपनी पूर्व-निर्धारित आध्यात्मिक ऊँचाई तक नहीं उठ पाते, उनका यही हाल होता है। २७ तारीखको दक्षिण आफ्रिकासे प्रस्थान करनेके पहले हम लोग एक आपात्कालीन सम्मेलन कर रहे हैं, जिसमें राजनीतिक कार्योको ठोसरूप देनेका उपाय किया जायेगा और काम करनेकी--हो सकता है, बलिदान करनेकी ही--एक रूपरेखा तैयार की जाये। भारत लौटते हुए मैं पूर्व आफ्रिकामें लगभग पन्द्रह दिन ठहरूँगी ताकि लौटनेसे पहले वहाँका काम पूरा किया जा सके।

एक अंग्रेज द्वारा सराहना

रेवरेंड चार्ल्स फिलिप्स दक्षिण आफ्रिकाके सर्वाधिक सम्मानित मिशनरियोंमें से हैं। उन्होंने मेरे नाम लिखे हाल ही के एक पत्र में श्रीमती सरोजिनी नायडूके कार्य के प्रति जो प्रशंसासूचक शब्द लिखे हैं, उन्हें नीचे दे रहा हूँ;

हमारे बीच कोई पत्र-व्यवहार नहीं है। मुझे ऐसा ही लगता रहता है कि आपका समय बहुत ही मूल्यवान है और उसे साधारणसे पत्रोंके उत्तर देनमें खर्च करवा देना अनुचित है। लेकिन श्रीमती सरोजिनी नायडू आजकल यहाँ आई हुई थी और मैंने उन्हें घनिष्ठ रूपसे जाना। उन्होंने आदेश दिया था कि में तत्काल आपकी पत्र लिख दूँ। वे कल यहाँसे चली गई और आज मैरित्सबर्गमें होंगी। केप टाउनका “चक्कर" लगाकर वे फिर यहाँ आ रही हैं और तब मैं उनसे फिर मिलूँगा। लेकिन आपको पत्र लिखे बिना उनसे दुबारा निश्चिन्त भावसे मेरा मिलना कठिन है। आपको पत्र लिखकर कष्ट देनेके बारे में मैंने अपनी यह सफाई दे दी। मैं तो उनके बारेमें दिन-भर लिखते रहकर भी शायद पूरी बातें न लिख पाऊँ। इसलिए मुझे तो जहाँतक हो सके थोड़ेमें ही लिखने की कोशिश करनी है। जोहानिसबर्गमें उन्हें अपने काममें जो आश्चर्यजनक सफलता मिली है, उसके बारेमें ज्यादा कहनेको मुझे जरूरत नहीं। दूसरे लोग आपको पूर्ण और विस्तृत विवरण लिखेंगे। लेकिन वह भी पर्याप्त नहीं होगा। वे तो आपको द्वितीय आत्मा सिद्ध हुई हैं। वे एक बार फिर हमारे बीच वह उच्च आध्यात्मिक उद्देश्य लेकर आई हैं, जिसकी अनुभूति हमें बहुत पहले हुई थी। उनकी इस यात्राके लिए, उनके कहे शब्वोंके लिए और उन्होंने हमारे सामने जो परम सत्य तथा ईसामसीह-जैसे विचार रखे हैं, उस सबके लिए हम ईश्वर को धन्यवाद देते हैं। समस्त भारतीय समाज और गोरोंका भी एक बहुत बड़ा भाग उनके आह्वानपर उठ खड़ा हुआ है।

असंगत नहीं

जेलसे निकलने के तुरन्त बाद मैंने गुरुद्वारा आन्दोलनके सम्बन्धमें अखबारोंमें एक वक्तव्य जारी किया था और ननकाना साहबवाली दुःखद घटनाके शीघ्र बाद कुछ