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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

तकलीकी उपयोगिता

यह तो अनेक अनुभवोंमें से मात्र एक अनुभव है।[१] अभी तो तकलीकी प्रारम्भिक अवस्था है। अभीतक इसके द्वारा प्रति घंटा ७० गज सूत कातनेकी रिपोर्ट हमारे पास आ चुकी है। चरखेपर अधिकांश लोग इससे ज्यादा कातते हैं; लेकिन तकलीकी चरखेके साथ यों कोई तुलना नहीं हो सकती। तकली तो पाँच मिनटकी फुरसत मिलनेपर भी इस्तेमाल की जा सकती है। रेलगाड़ीमें चरखा नहीं चलाया जा सकता इसलिए कांग्रेसने सफरमें न कातने की छूट दे रखी है। मुझे यदि उस समय तकलीकी उपयोगिताका ज्ञान होता तो सफरका अपवाद स्वीकार न किया जाता। इस तरह विचार करनेपर घूमने-फिरनेवाले मनुष्यको अथवा अन्य कार्योंके बीच सूत कातनेवाले मनुष्यको चरखेकी अपेक्षा तकली अधिक काम दे सकती है। तथापि तकली चरखेकी जगह नहीं, किन्तु चरखे के अलावा कातनेका एक लगभग मुफ्त साधन अवश्य है और यदि वह ठीकरीके टुकड़ेसे बनाई जाये तो बिलकुल मुफ्त पड़ेगी।

राष्ट्रीय स्कूलों में दण्डनीति

एक भाई लिखते हैं कि आपने शिक्षा-परिषद्में कई प्रस्ताव पास करवाये हैं। वे सब प्रस्ताव शिक्षकोंने आपको प्रसन्न करने के लिए चाहे-अनचाहे पास किये हैं। उनमें से कदाचित् ही किसीपर अमल किया जाये। फिर, आप एक प्रस्ताव पास करना तो बिलकुल ही भूल गये हैं--हमारी राष्ट्रीय शालाओं में विद्यार्थियोंको जो शारीरिक दण्ड दिया जाता है उसके निषेधका प्रस्ताव।

मुझे उम्मीद है कि शिक्षा-परिषद्के प्रस्ताव मुझे प्रसन्न करनेके उद्देश्यसे पास नहीं किये गये हैं, वरन् अमलमें लाये जाने के उद्देश्यसे पास किये गये हैं। जैसा अविश्वास इस भाईने व्यक्त किया है वैसा अविश्वास मेरे मनमें नहीं है। राष्ट्रीय स्कूलोंमें दण्डनीति सर्वथा त्याज्य है, ऐसी मेरी मान्यता है। यदि ऐसा न होता तो कोई-न-कोई शिक्षक अवश्य ही इस बातकी चर्चा करता। दूसरा अनुमान यह किया जा सकता है कि सम्भवतः दण्डनीति इतनी अधिक प्रचलित है कि इसमें किसीको आश्चर्य ही नहीं होता। लेकिन मैं यह अनुमान करने के लिए तैयार नहीं हूँ। मुझे उम्मीद है कि इस भाईने कुछ ही जगह शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियोंको सजा देते हए देखा होगा। जो शिक्षक सजा देता है वह शिक्षक नहीं, वह तो जेलका दारोगा हुआ। शिक्षकका धर्म विद्यार्थीको रिझाकर प्रेमसे आगे ले जाना है। दण्डसे बालक पढ़ते हैं, यह वहम अब तो दूर हो जाना चाहिए। संसारके सहस्रों शिक्षकोंका यह अनुभव है कि धीरजसे बच्चोंको ज्यादा सिखाया जा सकता है। दण्ड तो शिक्षकके अज्ञानका सूचक है। शिक्षकका काम है कि वह प्रत्येक विषयको दिलचस्प बना दे। अच्छा शिक्षक अंकगणित-जैसी चीजको भी दिलचस्प बना सकता है।

 
  1. एक भाईने अपने पत्रमें तकलीका अपना अनुभव लिख भेजा था; उक्त पत्र यहाँ नहीं दिया गया है।