पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 25.pdf/४८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

९. तार: एन० एच० बेलगाँववालाको[१]

[१९ अगस्त, १९२४ या उसके पश्चात्]

कोई समझौता[२]नहीं। मोतीलालके[३] साथ हुआ पत्र-व्यवहार भेज रहा हूँ। तेईस तारीखको अहमदाबाद पहुँच रहा हूँ।

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, २३-८-१९२४

१०. टिप्पणियाँ

पहली किस्त

अ०भा० कांग्रेस कमेटीके कताई सम्बन्धी प्रस्तावके[४] जवाबमें सूतकी जो पहली किस्त मिली है, उसका विश्लेषण करते हुए मुझे खुशी हो रही है। मैं चाहता हूँ कि पाठक भी उसमें शरीक हों। अभीतक तो गुजरातके भेजे हुए सूतका हिसाब ही मुझे मिला है, क्योंकि अ० भा० खादी बोर्डका प्रधान कार्यालय अहमदाबादमें है। जिन प्रतिनिधियोंके लिए सूत भेजना लाजिमी है उनकी संख्या ४०८ है। उनमें से सिर्फ १६९ प्रतिनिधियोंने सूत भेजा है अर्थात् फी सैकड़ा ४२ लोगोंने अपने जिम्मेका सूत भेजा है और ५८ लोगोंने नहीं भेजा। कहा जाता है कि जिन्होंने अपने जिम्मेका सूत नहीं भेजा वे नौसिखिया है। किन्तु यह कारण ठीक नहीं है। श्री तैयबजी और श्री वल्लभभाई नौसिखिया होनेपर भी निश्चयपूर्वक काम करने के कारण ५,००० गजसे भी अधिक सूत भेज सके हैं। इसलिए मुझे आशा है कि दूसरे महीने में सब प्रतिनिधि अपना-अपना सूत अवश्य भेज देंगे। जिन व्यक्तियोंने प्रतिनिधि न होनेपर भी सूत भेजा है उनकी संख्या सूत न भेजनेवाले प्रतिनिधियोंकी संख्यासे भी अधिक है, क्योंकि गुजरातमें कुल मिलाकर ६७२ लोगोंने अर्थात् ५०३ गैर-प्रतिनिधियोंने सूत भेजा है। यह संख्या सचमुच उत्साहवर्धक है। थोड़े और संगठनसे और अधिक अच्छा नतीजा दिखाई देगा। सच तो यह है कि यदि त्याग-

  1. १. यह तार बेलगाँववालाके १९ अगस्तके निम्नलिखित तारके उत्तर में भेजा गया था: "अखबारोंमें बहुत उत्तेजनापूर्ण बयान। श्रीमती नायडूको समझौता करनेका अधिकार दिया जा रहा है। आंग्ल-भारतीय अखबार कांग्रेससे आपके अलग होनेका अनुमान लगा रहे हैं। अपना दृष्टिकोण तारसे सूचित करें।"
  2. २. स्वराज्यवादियोंके साथ।
  3. ३. मोतीलाल नेहरू।
  4. ४. देखिए " पहली परीक्षा", २४-८-१९२४।