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बोल्शेविज्म या आत्म-संयम?

केनिया और नेटालका भेद समझ लेना चाहिए। नेटालको उपनिवेशका दर्जा मिल चुका है पर केनियाको अभीतक नहीं मिला। नेटालका निर्णय स्थानीय विधान-मण्डलका निर्णय है। अतः वहाँ अब भी राहत पानेकी आशा है। केनियामें इस समय जो फैसला हुआ है वह साम्राज्य सरकारका फैसला है; अतः वह लगभग अन्तिम है।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २१-८-१९२४

११. बोल्शेविज्म या आत्म-संयम?

[१]

दो अमेरिकी मित्रोंने मुझे बड़े भावावेशमें एक पत्र लिखा है। वे कहते हैं कि मैं धर्म के नामपर शायद भारतमें बोल्शेविज्मका प्रचार कर रहा हूँ, जो न तो ईश्वरको मानता है, न नैतिकताको और स्पष्टत: नास्तिक है। वे कहते हैं कि मुसलमानोंकी और आपकी मैत्री एक नापाक मैत्री है और दुनियाके लिए एक खतरा है; क्योंकि वे कहते है, आज मुसलमान बोल्शेविक रूसकी सहायतासे पूर्वी देशोंमें अपना प्रभुत्व जमानेकी फिक्रमें हैं। मेरे ऊपर यह आरोप इससे पहले भी लगाया गया है, पर अबतक मैने उसपर कोई ध्यान नहीं दिया। पर अब तो जिम्मेवार विदेशी मित्रोंने शुद्ध भावसे यह इलजाम लगाया है, इसलिए मेरी समझमें इसपर विचार करनेका समय अब आ पहुँचा है। सबसे पहले तो मैं यह स्वीकार करता हूँ कि मुझे पता नहीं बोल्शेविज्मके मानी क्या है? मैं इतना ही जानता हूँ कि इस मामले में दो परस्पर विरोधी दल हैं----एक तो उसका बड़ा भद्दा और काला चित्र खींचा करता है और दूसरा उसे संसारकी तमाम दलित-पतित और पीड़ित जातियोंके उद्धारका आन्दोलन बताता है। अब मैं नहीं कह सकता किसकी बातपर विश्वास करना चाहिए। मैं तो इतना ही कह सकता हूँ कि मेरा आन्दोलन नास्तिक नहीं है। वह ईश्वरको नहीं नकारता। वह तो उसीके नामपर शुरू किया गया है और निरन्तर उसकी प्रार्थना करते हुए चलाया जा रहा है। निस्सन्देह, वह एक जन-आन्दोलन है। परन्तु वह जनतातक उसके हृदयके द्वारा, उसकी धर्मबुद्धिको जगाकर ही पहुँचना चाहता है। यह आन्दोलन है क्या? यह तो एक प्रकारसे आत्म-संयमकी प्रक्रिया है और यही कारण है कि इसने मेरे कुछ अच्छेसे-अच्छे साथियोंको अधीर बना दिया है।

मुसलमानोंसे अपनी मित्रतापर मुझे गर्व है। इस्लाम ईश्वरको नकारता नहीं बल्कि वह तो केवल एक सर्वशक्तिमान् ईश्वरको कट्टरतासे मानता है। इस्लामके बुरेसे-बुरे टीकाकारने भी इस्लामपर नास्तिकताका दोषारोपण नहीं किया। ऐसी हालतमें यदि बोल्शेविज्म अनीश्वरवाद है तो उसमें और इस्लामके बीच मैत्रीका कोई समान आधार नहीं हो सकता। उस अवस्थामें इन दोनोंके बीच एक मरणातक

  1. १. एम० एन० राय द्वारा दिये गये इस लेखके उत्तरके लिए देखिए परिशिष्ट १; उत्तरपर गांधीजीकी टिप्पणीके लिए देखिए "बोल्शेविज्मका अर्थ", १-१-१९२५।